क्षणिकाएँ
1.
थम गई
गर्जन मेघों की
दामिनी भी
शरमा गयी
सावन की पहली बूँद
उनकी ज़ुल्फ़ों से टकरा गयी
............................................
2.
साया जवानी का
अंजाम देख
घबरा गया
वर्तमान की
टूटी लाठी से
भूतकाल टकरा गया
..............................................
3.
किसकी जुदाई का दंश
पाषाण को रुला गया
लहरों पे झील की
आसमाँ का चाँद
बस तन्हा
रह गया
..............................................
4.
वेगवती समीर
वातायन के पट खामोश
नयन देहरी द्वारे
गठरी बन बैठी
परदेशी पी की याद
............................................
5.
हर रंग में
खुदा संग होता है
रंग देख के इंसान के
खुदा भी दंग होता है
छोडो मज़हब के झगड़े
मज़हब में तो बस
मुहब्बत का रंग होता है
.
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Alok Mittal जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय vijay nikore जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय rajesh kumari जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय somesh kumar जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार।
वाह बहुत सुंदर भाई जी ....सुंदर बहुत सुंदर क्षणिकाएँ हैं। बधाई।
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ हैं। बधाई।
सुन्दर क्षणिकाएँ ...हार्दिक बधाई
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