चमचमाती हुई विेदेशी गाड़ी देखकर जैसे कान्ता ही चौंधिया गईं गाड़ी का दरबाजा खुला तो अन्दर से निकले बिदेशी इत्र का ज़बरदस्त झौंका उसके नथुनों से टकराया। सर से पाँव तक ज़ेवरों से लदी हुई बन्दिता नपे तुले पाँव जमीन पर रखते हुए गाड़ी से बाहर आई और कहा : “
मैने सोचा, तुम्हें शादी में अपने साथ ही ले चलूँ और इसी बहाने तुम्हारा घर भी देख लूँ । किधर हे तुम्हारा घर ?”
“वो उधर उस गली में, लेकिन उधर गाड़ी नही जाएगी। ” कान्ता ने अपने घर की तरफ इशारा करते हुए बताया ।
“गाडी वहाँ नही जा सकती, तुम कुछ देर यहीँ रुको,” बन्दिता ने मुडकर ड्राइवर से कहा ।
कान्ता ने घर का दरबाजा खोला, घर के अन्दर दाखिल होते ही बन्दिता ने कहा:
“तुम्हारा घर तो बहुत छोटा है, कैसे एडजस्ट कर लेते हो ? कितने कमरे हैं ?”
“बस, उपर दो बेडरुम और नीचे ये किचन और लिविंगरूम।” कान्ता की आवाज मे थोड़ी कम्पन थी ।
“भई हमारा बहुत बड़ा तीन मंज़िला बंगला है, खैर ! तुम जल्दी से तैयार होकर आ जाओ,” बन्दिता ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा ।
कान्ता तैयार होकर नीचे उतरी । बन्दिता ने कान्ता को उपर से नीचे तक देखकर कहा: “अरे ! तुम ये मामूली सी साड़ी पहनकर जाओगी वहां ? और तुम्हारे जेवर कहाँ है ?”
यह सुनकर कान्ता के चेहरे पर क्षण भर में कई रंग आये और गए । खुद को संयत करते हुए कान्ता ने बड़े गर्व से उत्तर दिया:
“वो कवि गोष्ठी मे गए हुए है ।”
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(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आप सभि पुजनींय महानुभावोको मेरा लघुकथा अच्छा लगा, मेरा हार्दिक आभार और नमन ।
बहुत अच्छी लघुकथा कही है, लघुकथा का अंत बहुत पसंद आया। बधाई स्वीकारें।
आदरणीय विपुल जी.
सुन्दर कथा. सहजता को आत्मबल बनाना आसान न्हीं होता है. कवियों के साधारण जीवन यापन और पत्नियों के सम्मान को सुन्दर ढंग से कहा है.
सादर.
बहुत सुन्दर वाह ...अंत ने तो निःशब्द कर दिया ,बधाई आपको .
बहुत ही बेहतर लघुकथा,आदरणीय विपुल जी. बधाई आपको
“वो कवि गोष्ठी मे गए हुए है ।” बहुत खूब आदरनीय , इस जवाब ने तो निरुत्तर कर दिया । सुन्दर लघुकथा के लिये बधाई ।
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धन के मद से छाती असम्वेदनशीलता को बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया है आपने आदरणीय बिपुलजी।
कांता का परिणात्मक उत्तर तो निःशब्द कर रहा है। हार्दिक बधाई आपको।
सादर
वाह --- क्या बात है !
भारतीय नार्री का पति ही उसका जेवर है और यदि वह कवि है तो क्या बात है i कवि वह प्राणी है जो अपने जीवन के कुछ क्षणों को पूर्णता में जीता है जब वह कल्पना जगत में जाकर इस जग से नाता तोड़ लेता है i बहुत सुन्दर रचना i मेरी नजर में i
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