For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वह रात भर छटपटाता रहता, रटी रटाई बातोँ के सिवाय वह कुछ और बोल भी तो नही सकता था । लेकिन पिंजरें के अन्दर ही सही उसे कभी भी भूखा नही रहना पडा था । उसने सोचा, मेरा मालिक भीखू जैसे भो हो, पर मेरा पसंदीदा आहार जुटाता है, और हर तरह से अब तक मेरी हिफाजत करता  है । बन्धन मे पडना मेरा प्रारब्ध है और बिकना मेरी क्रूर नियति है । फिर भी मै अब तक जिंदा हूँ, कितना प्यार करता है भीखू  मुझे ! वो गरीब है पर फिर भी उसका व्यवहार उत्तम रहा है । भीखू ने सदा मुझे दोस्त समझा है, इसी कारण मेरे दिल मे भी उसके लिए प्यार है।

"लेकिन मै तो पंछी हूँ, आजादी मेरा जन्मजात अधिकार है । तो और कितने दिन रह सकूँगा मै इस पिंजरे मे ? मैं आखिर कब आजाद होऊँगा ?  शायद जब भीखू अपनी तंगहाली से निजात पा ले तो मुझे भी आजादी मिल जाये।"

एक सुवह भीखू पिंजरा लेकर जंगल की तरफ निकल पड़ा । रास्ते मे थोड़ी  देर सुस्ताने के लिए भीखू एक पेड के नीचे बैठ गया । चेतना, आत्मज्ञान या परोपकार की भावना, जिस भी विशेषण से सम्बोधित करो लेकिन उसके मन मे अपने मालिक के उद्धार करने का संकल्प अंकुरित हुवा । तोता अजीब सी आवाज़ मे चिल्लाकर ज़मीन को कुरेदने लगा । तोते की इस हरकत से अचम्भित भीखू ने भी एकाएक उस जगह को खोदना शुरू कर दिया । थोड़ी सी खुदाई के वाद ही भीखू को ज़मीन में गड़ी हुई दौलत मिल गई, तोता अब अपनी आजादी का ख्वाब देखने लगा ।

आजकल भीखू एक अलीशान महल मे रहता है । उसके महल मे आज भी उसका तोता मौजूद है, सोने के पिंजरे में ।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bipul Sijapati on October 27, 2014 at 12:19pm

आप सभी महानुभावोको हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by Alok Mittal on October 27, 2014 at 11:35am

बहुत सुंदर लघुकथा आपकी ..

तोता आज भी सोने के पिंजरे में रहता है ...पर आज़ादी नहीं मिली .....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 26, 2014 at 8:06am

बहुत ही बढ़िया सन्देश देती है आपकी लघुकथा. बधाई आदरणीय विपुल जी

Comment by विनय कुमार on October 26, 2014 at 1:52am

अच्छे सन्देश वाली कहानी के लिए बधाई..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 22, 2014 at 12:11pm

तोता  अब आजादी के ख्वाब देखने लगा ---------- तोता मौजूद है सोने के पिंजरे में i  उपकार का प्रतिफल इस रूप में i कहानी का विस्तार कम करते तो कहानी और मार्मिक बनती i  कथ्य बहुत अच्छा  है और सन्देश भी i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 9:00pm

जिसकी नियति में ही कैद लिखी हो वो कहाँ आजाद हो पाते हैं कैद चाहे लोहे के पिंजरे की हो या सोने की क्या फ़र्क पड़ता है | अच्छी कहानी के लिए हार्दिक बधाई |

Comment by Shyam Narain Verma on October 21, 2014 at 1:10pm

लघु कथा पर बहुत बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service