For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या अब भी // रवि प्रकाश

क्या अब भी पुलिनों तक आते हैं सब धारे,
क्या सूखी सिकता में मोती मिलते होंगे?
अँधियारी रातों में गाते हैं सब तारे,
क्या उथली नींदों में सपने खिलते होंगे?
.
हलचल बढ़ जाती है क्या कुछ पदचापों से,
अपना कोई कोना हाथों से गिरता है?
कटता एकाकीपन अस्फुट आलापों से,
सहसा अब भी कोई सुधियों में तिरता है?
.
रातों की निर्मितियाँ दिन में ढह जाती हैं,
लज्जा की लाली क्या अधरों को सिलती है?
क्या अब भी सीने में टीसें रह जाती हैं,
तृष्णा के छोरों पर मृगतृष्णा मिलती है?
.
डगमग नौकाओं को क्या तट मिल जाते हैं?
क्या अब भी प्यासों को पनघट मिल जाते हैं?
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित
-30.10.2014

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 8:34pm

बहुत खूब ! आदरणीय रवि भाई , बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2014 at 5:55pm

क्या अब भी पुलिनों तक आते हैं सब धारे,-------यहाँ धारे की जगह आती है  हर धारा या आती हैं सब लहरें करें तो ज्यादा बेहतर होगा 
क्या सूखी सिकता में मोती मिलते होंगे?
अँधियारी रातों में गाते हैं सब तारे,
क्या उथली नींदों में सपने खिलते होंगे?-----कमाल का बंद 

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Ravi Prakash on November 1, 2014 at 12:14pm
Umesh ji bahut shukriya..
Comment by Ravi Prakash on November 1, 2014 at 12:13pm
Hardik dhanyawad Ajay Sharma ji itni sarahna ke liye...
Comment by umesh katara on November 1, 2014 at 8:37am

waaaaaaaaah waaaaaaaaaaaah    achchhi rachna sahib

Comment by ajay sharma on November 1, 2014 at 12:20am

sateek ....prashn se bharpur ....bebaak samvednayo se bhare ...kalkal bahta hue geet ko meri shubkamnaye .......bahut khoob ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service