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एक नवजात के नाम - (रवि प्रकाश)

कौन है तू, मौन मेरा या मुखर संगीत है,

शब्द है कोई मधुर या भाव शब्दातीत है।
रंग है या रेख केवल,चित्र है या तूलिका,
शेर है मेरी ग़ज़ल का,नज़्म या नवगीत है॥
.
कुछ पुरानी भंगिमाएँ,कुछ नई मुस्कान है,
सिसकियों में सुर सजे हैं,आह में भी गान है।
खोजते हैं लोग मेरा अक्स तेरी आँख में,
तू जहां से और तुझ से ये जहां हैरान है॥
.
नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,
बारिशों में सुन सके तू गीत कोई अनसुना॥
.
झुटपुटे में शाम के जब चाँद का झूमर हिले,
रात की रानाइयों में चाँदनी तुझ पर खिले।
गाल पे बिखरा करेगी भोर की जो लालिमा,
दोपहर का ताप भी तेरी अदाओं को मिले॥
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-15.04.2014

Views: 714

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Comment by Ravi Prakash on June 4, 2014 at 12:51pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद। आशीर्वाद बनाए रखें॥

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 3:17pm

किसी नवजात का आगमन भौतिक संज्ञाओं में ही नहीं भावनाओं और अनुभूतियों तक में सुखकर परिवर्तन का कारण बनता है. आपकी अभिव्यक्ति में इसकी सुन्दर बानगी देख रहा हूँ.  मुग्ध पिता के सात्विक भावोद्गारों से गुजरना एक अनुभव है.

हार्दिक बधाइयाँ.

Comment by Ravi Prakash on May 30, 2014 at 9:45pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया आ॰ विन्दु जी।
Comment by Ravi Prakash on May 30, 2014 at 9:33pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आ॰ आशुतोष जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 3:46pm

झुटपुटे में शाम के जब चाँद का झूमर हिले,
रात की रानाइयों में चाँदनी तुझ पर खिले।
गाल पे बिखरा करेगी भोर की जो लालिमा,
दोपहर का ताप भी तेरी अदाओं को मिले॥...बिशेष मनोदशा में कभी कभी कुछ ऐसा लिखा जाता है तो खुद तो बहता है सबको बहा ले जाता है ..कई बार पढ़ा .दिल को गुदगुदाता सा , प्यारा गीत ...तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Vindu Babu on May 29, 2014 at 8:05pm

अंतर्मन से निकली हुई आपकी यह सुंदर रचना नवजात के लिए हृदय में अनायास ही स्नेह जगा रही है।

बड़ी अच्छी रचना हुई है आदरणीय रवि प्रकाश जी।

सादर बधाई आपको...

Comment by Ravi Prakash on May 28, 2014 at 11:26pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आ॰ नादिर ख़ान जी।
Comment by Ravi Prakash on May 28, 2014 at 11:23pm
बहुत-बहुत धन्यवाद आ॰ कुंती जी।
Comment by नादिर ख़ान on May 28, 2014 at 8:49pm

दिल की गहराईयों से निकले शब्दों के साथ लिखा गया सुंदर गीत  ... ढेरों शुभकामनायें आदरणीय रवि प्रकाश जी ।

Comment by coontee mukerji on May 28, 2014 at 8:09pm

कौन है तू, मौन मेरा या मुखर संगीत है,

शब्द है कोई मधुर या भाव शब्दातीत है।
रंग है या रेख केवल,चित्र है या तूलिका,
शेर है मेरी ग़ज़ल का,नज़्म या नवगीत है॥......अति सुंदर.हार्दिक बधाई.

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