Added by Ravi Prakash on January 26, 2017 at 7:43pm — 2 Comments
Added by Ravi Prakash on January 16, 2017 at 8:33am — 7 Comments
Added by Ravi Prakash on November 24, 2016 at 1:42pm — 4 Comments
Added by Ravi Prakash on November 19, 2016 at 2:24pm — 6 Comments
Added by Ravi Prakash on November 3, 2016 at 12:52pm — 2 Comments
Added by Ravi Prakash on April 21, 2016 at 3:23pm — 2 Comments
Added by Ravi Prakash on August 4, 2015 at 4:56pm — 13 Comments
Added by Ravi Prakash on June 19, 2015 at 2:18pm — 6 Comments
Added by Ravi Prakash on May 8, 2015 at 7:01am — 14 Comments
Added by Ravi Prakash on April 28, 2015 at 11:30am — 10 Comments
Added by Ravi Prakash on October 31, 2014 at 12:30pm — 16 Comments
कौन है तू, मौन मेरा या मुखर संगीत है,
शब्द है कोई मधुर या भाव शब्दातीत है।
रंग है या रेख केवल,चित्र है या तूलिका,
शेर है मेरी ग़ज़ल का,नज़्म या नवगीत है॥
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कुछ पुरानी भंगिमाएँ,कुछ नई मुस्कान है,
सिसकियों में सुर सजे हैं,आह में भी गान है।
खोजते हैं लोग मेरा अक्स तेरी आँख में,
तू जहां से और तुझ से ये जहां हैरान है॥
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नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,…
Added by Ravi Prakash on May 27, 2014 at 7:00pm — 16 Comments
Added by Ravi Prakash on March 11, 2014 at 2:33pm — 10 Comments
बहर-ऽ।ऽऽ ऽ।ऽऽ ऽ।ऽऽ ऽ।ऽ
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झील के पानी में गिर के चाँद मैला हो गया।
स्वाद मीठी नींद का कड़वा-कसैला हो गया॥
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दो घड़ी भी चैन से मैं साँस ले पाता नहीं,
यूँ तुम्हारी याद का मौसम विषैला हो गया।
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सभ्यता के औपचारिक आवरण से ऊब कर,
आदमी का आचरण फिर से बनैला हो गया।
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आँख में मोती नहीं बस वासना की धूल है,
प्यार देखो किस क़दर मैला-कुचैला हो गया।
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हर किसी को सादगी के नाम से नफ़रत हुई,
कल जिसे कहते थे मजनूँ,आज लैला हो गया।…
Added by Ravi Prakash on January 24, 2014 at 5:00pm — 16 Comments
Added by Ravi Prakash on January 13, 2014 at 8:43pm — 13 Comments
ग़ज़ल
बहर-।।ऽ।ऽ ।।ऽ।ऽ (प्रथम प्रयास)
..
कभी चाँदनी सी खिला करे,
कभी धूप बन के सजा करे।
..
सभी चाहतों से हों देखते,
तू नज़र-नज़र में बसा करे।
..
कोई ख़्वाब में हो सँवारता,
कोई राहतों की हवा करे।
..
जहाँ लड़खड़ाएँ क़दम वहीं,
कोई हाथ बढ़ के वफ़ा करे।
..
रहें मंज़िलें तेरे सामने,
हो कठिन डगर तो हुआ करे।
..
जिसे देखता हूँ मैं ख़्वाब में,
वही शख़्स तुझमें मिला करे।
..
मेरा फ़न रहे,तेरी सादगी,
मेरी हर…
Added by Ravi Prakash on January 1, 2014 at 6:00pm — 12 Comments
Added by Ravi Prakash on December 27, 2013 at 2:19pm — 14 Comments
बहर-।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ
...
कभी चाँदनी छूने आया करेगी।
सितारों की ज़ीनत बुलाया करेगी॥
...
बदन की मुलायम तहों में समेटे,
नदी पत्थरों को सुलाया करेगी।
...
भटकता फिरेगा कहीं पे अँधेरा,
कहीं रोशनी गीत गाया करेगी।
...
परिंदों की परवाज़ क्या खूब होगी,
हवा जब उन्हें आज़माया करेगी।
...
नई चूड़ियों से खनकती कलाई,
सवेरे-सवेरे जगाया करेगी।
...
ज़रा सी किसी बात पे रो पड़ूँगा,
कभी ज़िंदगानी हँसाया करेगी।
...
कहूँगा…
Added by Ravi Prakash on December 23, 2013 at 1:00pm — 26 Comments
बहर-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽऽ
...
लिपट के आबशारों से तराने खो गए होंगे।
उतर के देवदारों से उजाले सो गए होंगे॥
...
जिन्हें मालूम है दुनिया मुहब्बत की इमारत है,
ग़ुज़र के मैकदे से भी वही घर को गए होंगे।
...
न परियों का फ़साना था न किस्से देवताओं के,
कहानी कौन सी सुन के सलोने सो गए होंगे।
...
उन्हीं की नींद उजड़ी है,उन्हीं के ख्वाब बिखरे हैं,
किसी की आँख के तारे चुराने जो गए होंगे।
...
ज़रा सी चाँदनी छू लें,सितारों की दमक देखें,…
Added by Ravi Prakash on December 16, 2013 at 4:00pm — 13 Comments
Added by Ravi Prakash on December 9, 2013 at 2:27pm — 19 Comments
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