For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कविताएँ // रवि प्रकाश

विरह
मैं तो गाढ़े अँधियारे की
पत्थर जैसी छाती पर
उँगली से नाम तुम्हारा
लिख कर सो जाता हूँ,
क्या तुम भी यूँ ही जीती हो?
॰॰
दो नैन
कितनी सीधी है नैनों की बोली!
अनपढ़ होता तो भी पढ़ लेता
हर अक्षर हमजोली!
॰॰
उदासी
ये भीनी-भीनी,नर्म उदासी
किसी ताल सी ठहरी है
कँकर मत फेंको!
॰॰
चाह
मैं चाहता हूँ-
हम साथ चलें कोसों
फिर सहसा पूछें इक-दूजे से-
"तुम थक तो नहीं गए?"
॰॰
टूटन
ये टूटन ही सीधा रखती है
मेरुदण्ड मेरा,
मैं नहीं चाहता
कि तुम दुबारा मिलो
और सब कुछ सही हो जाए।
॰॰
परिभाषा
ये परिभाषा युगों पुरानी लगती है
कि प्यार कोई आवाज़ नहीं,
अल्फ़ाज़ नहीं
एक ही सपना है
दो जोड़ी आँखों में।
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-18.07.2015

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on August 6, 2015 at 3:34pm
धन्यवाद आ॰ गोपाल नारायण जी।
Comment by Ravi Prakash on August 6, 2015 at 3:31pm
इतने सूक्ष्म विश्लेषण के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आ॰ कांता जी।
Comment by Ravi Prakash on August 6, 2015 at 3:31pm
इतने सूक्ष्म विश्लेषण के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आ॰ कांता जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 6, 2015 at 10:12am

शब्दों का प्रयोग आहलादित करता है .. 

Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:28pm
शब्दों से शब्द में मर्म है । हर एक पंक्ति लाजवाब बनी है ।
मैं तो गाढ़े अँधियारे की
पत्थर जैसी छाती पर
उँगली से नाम तुम्हारा
लिख कर सो जाता हूँ,
क्या तुम भी यूँ ही जीती हो?...... वाह !!!!!! कितना कोमल भाव लिए है ये ... अति सुंदर !
Comment by Ravi Prakash on August 5, 2015 at 1:57pm
आ॰ मिथिलेश जी, स्नेह और आशीर्वाद के लिए कोटिश: धन्यवाद ।
Comment by Ravi Prakash on August 5, 2015 at 1:54pm
धन्यवाद सविता मिश्रा जी।
Comment by Ravi Prakash on August 5, 2015 at 1:52pm
धन्यवाद आ॰ सौरभ जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 12:26pm

आदरणीय रवि प्रकाश जी, सभी क्षणिकाएं बहुत शानदार हुई है, सीधे दिल में उतरती गई. इस भावपूर्ण सशक्त प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by savitamishra on August 5, 2015 at 12:20pm

खुबसुरत क्षणिकाए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service