For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा अस्तित्व कहाँ है // रवि प्रकाश

एक समन्दर भी है अन्दर
थोड़ा उथला,थोड़ा गहरा
और लहर पे लहर चढ़ी है
पहले भी मालूम था लेकिन-
जब से तेरा नाम लिखा है
धाराएँ कुछ और हो गईं
सभी किनारे छूट गए हैं।
कब सूरज ने दम तोड़ा था
तड़प-तड़प के हिमशिखरों पर
टूटे तारे कौन गली में
आस जगा कर रहे बिखरते
प्रोषितपतिका रात बनी कब
दरके थे तटबंध हृदय के
कब मैंने आलाप किया था
वेदमंत्र सा राग तुम्हारा
कब उतरा मेरे अधरों पे
कुछ भी तो अब याद नहीं है।
वो छोटा सा एक अकेला
पल,जब तुमने मुड़ कर देखा
किसे पता था वर्तमान में
अंकित हो कर रह जाएगा,
भाव भरे वे सब आमंत्रण
जो तुम नयनों से देती हो
ज्यों के त्यों मेरी पलकों पर
महक रहे हैं पाटल जैसे
यही स्वयं से पूछ रहा हूँ-
"रोम-रोम जब गेह तुम्हारा
फिर मेरा अस्तित्व कहाँ है?"
शब्द नहीं सुन पाता लेकिन
मौन तुम्हारा पढ़ लेता हूँ,
यूँ लगता है अब भी जैसे
नहीं देखती सी चितवन से
तुमने मुझको फिर देखा है
मान किया है थोड़ा गुपचुप
किंतु स्वतः ही मान गई हो
फिर विस्मय से देख स्वयं को
लज्जा के घेरों में घिर कर
सिमट रही हो मुस्कानों में।
पलक-पाँवड़े बिछे हुए हैं
मेरी सूनी मधुशाला में
शेष मगर है तेरा आना
यही सोच कर सिहर रहा हूँ-
"अर्पण की आतुरता पाले
बासन्ती बेलों से पावन
युग से उत्कंठित अधरों से
तुम जिस पल मुझको छू लोगी
क्या 'मैं' फिर 'मैं' रह पाऊँगा
आशंकित हूँ किसी तरल सा
शायद गल कर बह जाऊँगा॥"
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-02.05.2015

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on May 15, 2015 at 10:38am
आ॰ सौरभ जी। स्नेह और आशीर्वाद के लिए कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:22pm

अद्भुत ! अद्भुत !! अद्भुत !!!

आपकी प्रस्तुति के लिए हृदय से  बधाइयाँ. हार्दिक शुभकामनाएँ,भाई रवि प्रकाशजी.

एक अरसे बाद आपकी प्रस्तुति से गुजरना भला लगा.

Comment by Ravi Prakash on May 11, 2015 at 10:37am
धन्यवाद तनुजा जी।
Comment by Tanuja Upreti on May 11, 2015 at 10:19am

सुन्दर भावपूर्ण रचना हेतु बधाई

Comment by Ravi Prakash on May 11, 2015 at 10:03am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आ॰ मिथिलेश जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥
Comment by Ravi Prakash on May 11, 2015 at 10:02am
बहुत-बहुत धन्यवाद सुनील जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2015 at 9:24am

आदरणीय रविप्रकाश जी बहुत सुन्दर रचना है 

रचना की गेयता और अंतर्गेयता दोनों पर मुग्ध हूँ. 

इस बेहतरीन प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by shree suneel on May 10, 2015 at 5:11pm
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई आदरणीय रवि प्रकाश जी.
Comment by Ravi Prakash on May 10, 2015 at 1:42pm
आदाब जनाब, और तारीफ़ के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
Comment by Samar kabeer on May 10, 2015 at 10:38am
जनाब रवि प्रकाश जी ,आदाब ,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service