कौन आया है अजनबी देखो !
खुशनुमाँ आज जिन्दगी देखो II
ध्यान देना ज़रा नजर भरके !
बैठ कर खूब सादगी देखो II
देख लो ठोक औ बजा करके I
ठीक सा कोइ आदमी देखो II
प्यार का अब हुआ असर ऐसा !
आप इसकी नई कमी देखो !!
हर तरफ चल रही सफाई है !
पर फिजाओं में गंदगी देखो !!
देखिये बँट रही मिठाई है !
कौन है फिर यहाँ दुखी देखो !!
जीत ली प्यार से मुहब्बत भी !
आज आलोक की ख़ुशी देखो !!
("मौलिक व अप्रकाशित")
** आलोक **
मथुरा
Comment
आ. जितेन्द्र पस्टारिया जी......मेरा हौसला बढाने का आपका बहुत बहुत आभार
आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी.....हौसला बढाने का आपका सादर आभार
बहुत अच्छी लगी आपकी गजल, आदरणीय आलोक जी. सामयिक शेरों पर अनेकानेक बधाई आपको
सुन्दर रचना i बधाई हो i
आ. umesh katara जी.....हौसला बढाने का आपका सादर आभार
आ. गिरिराज भंडारी जी....मेरा हौसला बढाने का आपका बहुत बहुत आभार
बहुत बढिया ग़ज़ल कही है सर
---------हर तरफ चल रही सफाई है
पर फिजाओं में गन्दगी देखो
वाहहहहहहहहहहह तात्कालिक
आदरणेय आलोक भाई , बढिया ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।
आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी .....आप सब का आशीर्वाद और स्नेह मिलता रहे ...कोशिश सदा रहेगी अच्छा करने की ..आभार आपका
ग़ज़ल कहने का बढ़िया प्रयास है आ० आलोक मित्तल जी, बधाई स्वीकारें एवं प्रयासरत रहें।
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