For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नकल का कलंक और नकेल

कई तरह के माफिया की बातंे जिस तरह अक्सर होती हैं, कुछ उसी तरह छत्तीसगढ़ में पिछले बरसांे मंे षिक्षा माफिया भी सक्रिय रहे। छत्तीसगढ़ के कई जिले नकल के लिए ही बदनाम हुए और नकल के कलंक को आज भी ढो रहे हैं। हालांकि आज स्थिति कुछ बदली हुई नजर आती हैं। सरकार और षासन की नीतियांे में बदलाव का ही परिणाम है कि फिलहाल इस बरस की बोर्ड कक्षाआंे में नकल पर नकेल होना, नजर आ रहा है। पिछले दो बरस में हुई परीक्षा की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही। इस सख्ती का सीधा असर छात्रांे की संख्या पर देखी जा सकती है। कई जिलांे में दूसरे जिलों से आकर नकल के भरोसे पढ़ने वाले छात्रांेे की संख्या हजारांे में होती थी, उनकी संख्या भी अब नगण्य हो गई है।


देखा जाए तो एक दषक पहले से ही कई जिलों मंे षिक्षा माफिया ने अपनी दुकानदारी षुरू कर दी थी, इससे निष्चित ही छग की प्रतिभाएं दम तोड़ रही थी और यही लगने लगा था, जैसे नकल से ही छात्रों का बेड़ागर्क हो रहा है। जो भी हो, बेहतर षिक्षा की नींव तैयार करने कड़े कदम की जरूरत एक अरसे से महसूस की जा रही थी और षासन ने आखिरकार सख्ती दिखाई है। नकल का कलंक धोने के लिए आगे भी इसी तरह नकल पर नकेल कसा जाना चाहिए, क्योंकि भावी पीढ़ी के लिए यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा।


छत्तीसगढ़ में कुछ बरसों पहले तक षिक्षा माफिया इस तरह सक्रिय रहे, जैसे राज्य की षिक्षा नीति उनकी जेब में हो। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि किस तरह षिक्षा को व्यवसाय का रूप दे दिया गया और कई चेहरे रहे, जो नकल के भरोसे अपनी दुकानदारी चलाते रहे और अपनी तिजोरी भरकर प्रदेष की षिक्षा की नींव को खोखला करने तूले रहे। राज्य में कोई भी जिले में स्कूल खुलवाना जैसे षिक्षा माफिया के बाएं हाथ का खेल रहा है, तभी तो देखते ही देेखते स्कूलों की संख्या में कुछ ही बरस में एकाएक हजारों का इजाफा हो गया। आलम यह रहा कि कुछ एक जिलांे में दूसरे जिलांे से आकर पढ़ने वालों की संख्या बढ़ गई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण, जांजगीर-चांपा तथा सरगुजा जिला है, जहां छग के सभी जिलांे के छात्रों की घुसपैठ थी और इसका कारण केवल यही माना जाता था कि इन जिलों में नकल के भरोसे आसानी से परीक्षा की वैतरणी पार लगाई जा सकती है। यही कारण रहा कि ये जिले नकल के लिए चारागाह बन गया और नकल माफिया भी बेबाकी से सक्रिय रहे। इसका परिणाम उन छात्रों को आज भी भोगना पड़ रहा है, जो अपनी प्रतिभा और पढ़ाई के दम पर परीक्षा देते हैं, लेकिन षिक्षा माफिया की कारस्तानियांे के कारण उनकी मंषा पर पानी फिर जाता था और परीक्षा में ऐसे छात्र बाजी मार लेते थे, जिसे केवल नकल का सहारा होता।


नकल के कारण 2008 का वह काला धब्बा षायद ही कोई भूला होगा, उन छात्रों के लिए यह किसी सदमा से कम नहीं मानी जा सकती, जब होनहार छात्र के बजाय नकल के बूते कोई मेरिट मंे परचम लहरा दे। बारहवीं की मेरिट सूची में पोरा के टाप किए जाने के बाद, जिस तरह षिक्षा मंडल ने मामले की जांच कराई और जो कुछ खुलासा हुआ,
उसके बाद तो जैसे अफसरों के माथे पर बल पड़ गया। छग में षिक्षा की बदहाली और बदनामी का दौर यहीं थमता नजर नहीं आया, क्यांेकि दसवीं की मेरिट सूची में धांधली की बात सामने आई। इसके बाद जैसी किरकिरी राज्य की षिक्षा व्यवस्था तथा मंडल की नीतियांे की हुई, उससे नित विकास करता नया राज्य छग के कई जिले नहीं उबर पाए हैं। उस कलंक को अब भी धोने का प्रयास जारी है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि षिक्षा मंडल की लचर नीतियांे के कारण ही ऐसी स्थिति निर्मित होती रही, क्योंकि पहले से ही नकल के लिए बदनाम रहे स्कूलांे को परीक्षा केन्द्र बनाया जाता रहा। दिलचस्प बात यह है कि जिला प्रषासन द्वारा केन्द्रांे की संख्या नहीं बढ़ाए जाने के अभिमत पर षिक्षा मंडल का रवैय नकारात्मक होता था और परीक्षा के एक दिन पहले तक रेवड़ी की तरह केन्द्र बांटने का सिलसिला चलता था। आलम यह होता था कि परीक्षा केन्द्रों में व्यवस्था चरमरा जाती और एक-एक कमरे में छात्रों की संख्या इतनी होती, जहां किसी भी तरह बैठना मुमकिन नहीं होता था। लिहाजा, कौन छात्र कहां बैठा है, यह भी पता नहीं चलता था। मीडिया में इस बात को लेकर खबरें भी प्रसाारित होती रहती थी, लेकिन व्यवस्था बनाने किसी को कोई गुरेज नहीं होता। इन्हीं जैसी और भी परिस्थितियां नकल को बढ़ावा देने निर्मित होती थीं, लेकिन उस पर लगाम लगाने की साफगोई नीयत किसी में नजर नहीं आती थी। यहां वही कहावत चरितार्थ होती थी, आखिर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ?


जांजगीर-चांपा जिले को ही ले लें, जिस बरस पोरा मेरिट प्रकरण सामने आया, उस साल जिले में 172 केन्द्र बनाए गए थे तथा करीब 70 हजार परीक्षार्थियांे ने दसवीं-बारहवीं की परीक्षा दिए थे। इनमें से कई केन्द्रांे को बंद करने की बात जिला प्रषासन द्वारा कही गई थी, मगर षिक्षा मंडल के कर्ता-धर्ताओं को इन बातांे की फिक्र कहां कि नकल की प्रवृत्ति, किस तरह प्रदेष की षिक्षा की नींव को सुरसा की तरह लील रही है ?


छग के कई जिलों में तीन बरस पहले तक नकल की जो परिपाटी थी, निष्चित ही उस पर लगाम लगी है, लेकिन प्रदेष की षिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। एक समय था, जब छात्रों का रेला परीक्षा के समय लगता था, ऐसे नकल के लिए बदनाम जिलों में राज्य षासन द्वारा परीक्षा केन्द्रों की संख्या कम की गई है और नकल रोकने तमाम उपाय किए जाने तथा जिला प्रषासन के हस्तक्षेप बढ़ने से इस कुप्रवृत्ति पर काफी हद तक रोक लगी है। नकल नहीं होने से पिछले दो बरसांे में परीक्षा का रिजल्ट का आंकड़ा जरूर कम हुआ है, लेकिन षिक्षा की नींव मजबूत करने आगे भी नकल पर नकेल कसा जाना जरूरी होगा, तभी हम अपनी नई पीढ़ी की प्रतिभाओं को गुणात्मक षिक्षा से लबरेज कर सकते हैं। साथ ही इस कुप्रवत्ति को रोकने से हम नकल के कलंक को धोने कामयाब होंगे और नई पीढ़ी की पौध का षैक्षणिक स्तर भी बेहतर होगा।

राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714

Views: 239

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service