For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हथेली

अभी –अभी बुद्धिजीवियों की नगरी में सत्ता का चुनाव हुआ । किसी दल को जरूरी बहुमत नहीं हासिल हुआ । सत्ता –दल  धूल फाँकता नजर आया ।वह  चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या  के आधार पर तीसरे स्थान पर रहा ।  पहले सबसे बड़े दल की उम्मीदों पर झाडू फिर गया, हसरतों का फूल मुरझाते –मुरझाते बचा ।  । एक नवोदित दल को सदन में संख्या के अनुसार दूसरा दर्जा प्राप्त  हुआ । अब सरकार बने तो कैसे ? शासन –कार्य कौन देखेगा ?सत्ता –च्युत दल ने विपक्ष में बैठने की अपनी बात कही । दूसरे दर्जे वाले दल ने समर्थन लेने –देने से इंकार कर दिया । प्रथम दल भी सरकार बनाने से ही मुकर गया । उसके पास पूर्ण बहुमत जो नहीं था । कुछ दिन उहापोह की स्थिति रही । सब सोचते फिर चुनाव होंगे क्या ?अभी –अभी तो हमने अपना मतदान किया था ।  फिर नयी सरकार के गठन की अंतिम तिथि नजदीक आने लगी । सत्ता –च्युत दल ने नवोदित दल को बिना शर्त समर्थन की बात उछाल दी । नवोदित दल के नेता दुबिधाग्रस्त हो गये । जिसके विरोध में चुनाव लड़ के आये, उससे भला समर्थन कैसे लें ?वे फिर से जनता की तरफ मुखातिब हुए , कुछ जन सभाएं हुईं , कुछ लोगों के विचार जाने गये , फिर बिना शर्त वाले समर्थन से सरकार बनाने की घोषणा हो गयी ।

सदन में विश्वास –मत –परीक्षण के दौरान सबसे बड़े दल के नेता ने नैतिकता का सवाल उठाया कि जिसके विरोध से यह दल अस्तित्व में आया है , उससे भला समर्थन लेकर सरकार क्यों बनायेगा? पर्दे के पीछे की कथा सदन में उजागर हो । पर समय का तकाजा रहा कि बिना समय गँवाये , बिन बहस मतदान हुआ । सत्ता –च्युत दल ने सरकार का  साथ दिया। छोटे दल भी साथ रहे । भला अकेले कौन तीर मार लेते वे ? सरकार की जयकार हुई । सत्ता –च्युत  दल उद्घोषित कर रहा था कि हमारी तो सदा लोक –सेवा  की परंपरा रही है । हम जब सरकार में थे , तो जनता हमारी हथेली पर थी और जब सरकार से बाहर हैं, तो सरकार हमारी हथेली पर है । हमारा  दायित्व तो पूरा हो गया, भई । पहला सबसे बड़ा दल हिकारतभरी नजरों से सत्ता –च्युत दल को देख रहा था ।

   *** (जनवरी 2014 में लिखित)

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on November 13, 2014 at 8:43pm

दिल्ली की राजनीति को निशाने पे लिखी आप की लघुकथा तब भी सार्थक थी और शायद महाराष्ट्र के लिए भी कुछ हद तक सही बैठती है और कौन जाने दिल्ली के अगले परिणाम आने पे फिर से अर्थपूर्ण हो जाए ये रचना |सार्थक लेखन प्रयास के लिए शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
16 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service