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तुमने बुलाया और मैं चली आई 

मगर तुम भी जानते हो  

न तुमने दिल से बुलाया

 न मैं दिल से आई  

 

अच्छा हुआ जो तुम

मेरी महफ़िल में नहीं आये

क्यूंकि तुम अदब से आ नहीं सकते थे

और मैं औपचारिकतानिभा नहीं सकती थी

 

आयोजन में कस के गले मिले और बोले  

अरे बहुत दिनों बाद मिले हो

अच्छा लगा आप से मिलकर

सुनकर हम दोनों के घरों के पड़ोसी गेट हँस पड़े   

 

 

 सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है

 

 

गंगा खुश है आज उसे गुदगुदी हो रही है वो हँस रही है   

शायद कोई गंगा दिवस भी घोषित हो जाए

और वो भी

एक औपचारिकता के अध्याय में जुड़ जाए.

--------------------------------

मौलिक एवं अप्रकाशित  

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:08am

आ० लक्ष्मण जी,क्षणिकाओं को आपका अनुमोदन मिला लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:06am

आ० योगराज जी,प्रस्तुति आपसे अनुमोदन पाकर धन्य हुई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से बहुत-बहुत आभार आपका सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:04am

आ० गिरिराज जी,क्षणिकाएँ आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका|

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 11:16am

बहुत सार्थक  क्षणिकाएं रचित है आपने आदरणीया राजेश  जी | 

सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है    ---------- साफ कर रहा है, 

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है--------- बहुत सुंदर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 11:03am

सभी क्षणिकाएँ  दिल को छूने वाली है हैं आ० राजेश कुमारी जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 19, 2014 at 9:54am

सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है ----- बहुत बढिया ! सभी क्षणिकायें सुन्दर लगीं , बधाई आदरणीया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2014 at 9:50pm

हार्दिक धन्यवाद किशन कुमार जी 

Comment by किशन कुमार "आजाद" on November 17, 2014 at 2:22pm
बहुत ही प्यारी रचना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 6:55pm

शिज्जू भैय्या दिल से बहुत -बहुत आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 6:54pm

आ० डॉ० गोपाल जी,प्रस्तुति  आपकी प्रतिक्रिया पाकर प्रस्तुति धन्य हुई  इस प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभारी हूँ सादर .

कृपया ध्यान दे...

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