परिमूढ़ प्रस्ताव
अखबारों में विलुप्त तहों में दबी पड़ी
पुरानी अप्रभावी खबरों-सी बासी हुई
ज़िन्दगी
पन्ने नहीं पलटती
हाशियों के बीच
आशंकित, आतंकित, विरक्त
साँसें
जीने से कतराती
सो नहीं पातीं
हर दूसरी साँस में जाने कितने
निष्प्राण निर्विवेक प्रस्तावों को तोलते
तोड़ते-मोड़ते
मुरझाए फूल-सा मुँह लटकाए
ज़िन्दगी...
निरर्थक बेवक्त
उथल-पुथल में लटक रही
अनिर्णीत
खंडित
समस्त संकल्पों को आदतन त्यागकर
लौट आती है अविरत
यंत्रबद्ध एक ही परिमूढ़ अपाहिज प्रस्ताव पर
कि चलूँ, कुछ और चलूँ, देख लूँ
शायद मोड़ लेती हुई सड़क
की दूसरी ओर
इस बार .... शायद इस बार
बेहिसाब झुठलावा न हो
अकेलापन न हो
न हो उलझन
न भटकन ...
-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
//आपकी रचनाओं का पाठको से बतियाना अब चकित नहीं करता क्योंकि आपकी रचनाएँ स्वयं में अर्थवान संज्ञा हुआ करती हैं.
......वाह ! व्यामोह को खूब सटीक शब्द मिले हैं//
यह कह कर आपने मुझको, मेरे रचना-क्रम को, बहुत मान दिया है। आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सौरभ जी।
//रचना गम्भीर होने के साथ-साथ बहुत आकर्षक भी है। रचना की शब्दावली,गति और यति ने मन मोह लिया।
रचना सरलता में गहनता समेटे हुए है //
रचना को इस प्रकार मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया विन्दु जी।
रचना की सराहना के लिए और अपने विचार साझे करने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया प्रियंका जी।
आदरणीया सविता जी, रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय आशुतोष जी।
आदरणीय हरि प्रकाश जी, रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।
आपकी रचनाओं का पाठको से बतियाना अब चकित नहीं करता क्योंकि आपकी रचनाएँ स्वयं में अर्थवान संज्ञा हुआ करती हैं.
समस्त संकल्पों को आदतन त्यागकर
लौट आती है अविरत
यंत्रबद्ध एक ही परिमूढ़ अपाहिज प्रस्ताव पर
कि चलूँ, कुछ और चलूँ, देख लूँ
शायद मोड़ लेती हुई सड़क
की दूसरी ओर
इस बार .... शायद इस बार
बेहिसाब झुठलावा न हो
अकेलापन न हो
न हो उलझन
न भटकन ...
वाह ! व्यामोह को खूब सटीक शब्द मिले हैं आदरणीय विजय निकोरजी.
सादर बधाइयाँ
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी।
रचना पर समय देने के लिए और अपने अच्छे विचार देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय गोपाल नारायन जी।
रचना गम्भीर होने के साथ-साथ बहुत आकर्षक भी है। रचना की शब्दावली,गति और यति ने मन मोह लिया।
रचना सरलता में गहनता समेटे हुए है।
कविता बहुत भली लगी आदरणीय।
आपको हार्दिक बधाई ।
सादर
शुभ
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