For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँख का आँसू हॅसेगा - (ग़ज़ल ) -लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2122    2122    2122    212

******************************
चाँद  देता  है  दिलासा  कह  पुरानी  उक्तियाँ
पतझड़ों  में  गीत  उम्मीदों के गाती पत्तियाँ /1/

कह रही हैं एक दिन जब गुल खिलेंगे बाग में
फिर उदासी से  निकल बाहर हॅसेंगी बस्तियाँ /2/

स्वप्न बैठेंगे यहीं फिर गुनगुनी सी धूप में
बीच रिश्तों  के  रहेंगी  तब न ऐसी सर्दियाँ /3/

सिर  रखेगा  फिर  से  यारो सूने दामन में कोई  
आँख का आँसू हॅसेगा छोड़ कर फिर सिसकियाँ /4/

डस  रहा  है  गर  अकेलापन  बुढ़ापे  को बहुत
झट निकालो गठरियों से बचपनों की मस्तियाँ /5/

जिंदगी  की  पाठशाला  में  उकेरो  सुख  नये
पोंछ  डालो  आज दुख से जो भरी है तख्तियाँ /6/


रचना-25 अक्तुबर 2014
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’    

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2014 at 10:49am


आदरणीय भाई हरिप्रकाश जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । स्नेह बनाए रखें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2014 at 10:49am


आदरणीय मीना बहन स्नेहाशीष के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2014 at 10:49am


आदरणीय भाई केतन जी, गजल की प्रशंसाकर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2014 at 10:49am

आदरणीय भाई रामसिरोमणी जी, आपको गजल पसंद आयी लेखन सार्थक हुआ । स्नेह बनाए रखें ।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:42am

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,बधाई 

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:19pm

लाजवाब गज़ल हुयी ...सादर बधाई 

Comment by Ketan Kamaal on November 25, 2014 at 12:23pm

bahut hi pyaari ghazal kahi hai bhai Daaad qabool Farmaye 

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 12:06pm
आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत ही प्यारी ग़ज़ल।।हार्दिक बधाई
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2014 at 11:30am

आदरणीय भाई विजय निकोर जी गजल पर आपका स्नेहाशीष पाकर धन्य हुआ । मार्गदर्शन करते रहें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2014 at 10:51am

आदरणीय भाई महर्षि जी गजल पर आपकी उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार स्नेह बनाए रखें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service