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गज़ल ~ बडा मासूम सा एहसास

1222 1222 1222 1222

बडा मासूम सा एहसास तेरी दोस्ती का है ।
मुकद्दर ने दिया तोहफा मुझे ये जिन्दगी का है ।

हो जन्मोँ का कोई बिछडा हुआ साथी मिला जैसे ,
न पूछो कौन सा मंजर मेरे दिल मेँ खुशी का है ।

हजारोँ लोगोँ से मिलकर लगा यूँ देख ली दुनिया ,
मगर कहता रहा दिल इंतजार अब भी किसी का है ।

कहीँ खोया सा रहता हूँ जगा सोया सा रहता हूँ ,
असर ये हो न हो , बेशक , तेरी जादूगरी का है ।

मुहब्बत के नशेमन मेँ न जाने कौन सा रिश्ता ,
लबोँ पे मुस्कराहट और आँखोँ मेँ नमी का है ।

ये दिल की सरफिरी बातेँ महज कुछ चंद लफ्जोँ मेँ ,
सलीके से बयाँ करना हुनर बस शायरी का है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज मिश्रा

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Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:39pm
खूबसूरत सी गजल के लिए बधाई स्वीकारें श्रीमन।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 8:33pm

वाह नीरज जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल करें

Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:11pm
आदरणीय प्रकाश दुबे जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:09pm
आदरणीय सोमेश जी आपका बहुत बहुत आभार व अभिनंदन ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:08pm
आदरणीय मिथिलेश जी आप का बहुत बहुत आभार ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:07pm
आदरणीय विजय निकोर जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:05pm
आदरणीय विजय शंकर जी आपके प्रति बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:04pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आप से बहुत बहुत अविभूत हूँ आप का स्नेह यूँ ही बना रहे ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:02pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आपका बहुत बहुत आभार
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:00pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी

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