For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल ~ पेशावर के आँसू

1222 1222 1222 1222

खबर ऐसी करे हैरान पेशावर से आयी है ।
कि बू हैवानियत की फिर पडोसी घर से आयी है ।

धर्म के नाम पर मासूम बच्चे भी नहीँ बख्शे ,
ये बरबरता तुम्हारे कौन से जौहर से आयी है ।

कत्ल इंसानियत का कर जिहादी पायेँगे जन्नत ,
भला तालीम ऐसी कौन पैगम्बर से आयी है ।

जो बोता था हमेशा से किसी के वास्ते काँटे ,
उसे ये चोट अपने ही उगाये खर से आयी है ।

संभल जा दूसरोँ पर नफरतोँ के वार करने से ,
कि अब तो दर्द की आवाज तेरे घर से आयी है ।

अमन तेरे वतन मेँ हो अमन सबके वतन मेँ हो ,
दुआ ये ही तेरे गम मेँ जमाने भर से आयी है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज मिश्रा

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 20, 2014 at 6:54pm

बोके  बीज नफरत के कहाँ दामन बचाओगे। ...इस सार्थक ग़ज़ल पर बधाई नीरज जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 19, 2014 at 12:23am

समसामयिक मार्मिक ग़ज़ल ...

जो बोता था हमेशा से किसी के वास्ते काँटे ,
उसे ये चोट अपने ही उगाये खर से आयी है । उम्दा शेर आदरणीय नीरज जी 

Comment by ajay sharma on December 18, 2014 at 10:57pm

bahut hi umda aur samyaik gazal kahi hai ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 18, 2014 at 8:00pm

समयानुकूल , बहुत मार्मिक गज़ल कही , आदरणीय नीरज प्रेम भाई , मेरी मी संवेदनायें शामिल कर रहा हूँ । रचना के लिये आपको बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 18, 2014 at 7:36pm

उस बर्बरता पूर्ण घटना को अच्छे अशआरों में बांधा है ...धर्म और कत्ल २१ मात्रा में आते हैं धरम और कतल लिखेंगे तो मेरे ख्याल से चलेगा ....बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर 

संभल जा दूसरोँ पर नफरतोँ के वार करने से ,
कि अब तो दर्द की आवाज तेरे घर से आयी है ।--बहुत जबरदस्त शेर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 6:29pm

बहुत बढ़िया i पेशावर की घटना पर आपके त्वरित प्रक्रिया अभिभूत करती है i

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 18, 2014 at 6:00pm

बहुत खूब प्रस्तुति............... पर जो हुआ वो इंसानियत का काम नहीं था वो काम हैवानों का था

Comment by Shyam Narain Verma on December 18, 2014 at 4:07pm

मार्मिक व लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service