स्वागतम नव वर्ष का
हर्ष से आओ करें मिल, स्वागतम नव वर्ष का ।
आश जो हर मन जगाये, आज कारक हर्ष का ।।
कर्म को मुखरित करे वह, लक्ष्य नव उत्कर्ष का ।
शोध अभिनव जो कराये, साक्ष्य दृढ निष्कर्ष का ।१।
कामना नव वर्ष तुमसे, आज इतनी है सुनो ।
हस्तगत गत वर्ष की हर, शौर्य गाथा तुम चुनो ।।
चौगुनी हो वृद्धि उनमें, ध्यान इतना दीजिये ।
आप बदले में जगत की, आपदा हर लीजिये ।२।
प्रेम से जग जीत लें हम, आत्म का उद्धार हो ।
हो अभय जीवन सभी का, ज्ञान का विस्तार हो ।।
मुक्त हो आतंक से जग, प्रेम का अभिसार हो ।
आज मानव धर्म जीवन, ही जगत का सार हो ।३।
क्रूरता जग से मिटे अब, सून गलियारे न हों ।
भूख से कोई मरे ना, दाम बलियारे न हों ।।
बोल में मधुरस घुले फिर, मेल हो व्यवहार में ।
हो न आहत मन किसी का, भाव दो उपहार में ।४।
- सत्यनारायण सिंह
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई आ. सत्यनारायण सिंह जी !
सत्य नारायण जी
आपने गीतिका में लिखा है स्पष्ट नहीं किया i मैंने पूरी पड़ताल नहीं की है पर शायद है ऐसा ही इसीलिये सुमधुर है गेय है i भाव संपन्न तो है ही i
अच्छी रचना के लिए बधाई। |
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