For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ मेरे ज़िंदगी की …

साथ मेरे ज़िंदगी की …(एक रचना )

साथ  मेरे ज़िंदगी  की रूठी किताब रख देना
जलते चरागों में  बुझे  वो  लम्हात रख देना

रात भर सोती रही शबनम जिस आगोश में
रूठी बहारों में वो सूखा  इक गुलाब रख देना

कहते कहते रह गए  जो थरथराते से ये लब
साथ मेरी  धड़कनों  के वो जज़्बात रख देना

आज तक न दे सके जवाब जिन सवालों का
साथ मेरे  वो सिसकते कुछ जवाब रख देना

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना

तमाम शब  तन्हाई  में  जो  मेरे  करीब रहा
साथ मेरे वो  उदास  इक  माहताब रख देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2015 at 2:09pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2015 at 7:57pm

बहुत सुंदर रचना, आदरणीय शुशील जी. हार्दिक बधाई व् नववर्ष की शुभकामनायें स्वीकारें.

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय  khursheed khairadi जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय  somesh kumar जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:17pm

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:17pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर   जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:16pm

आदरणीय   Hari Prakash Dubey   जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:16pm

आदरणीय  SHARAD SINGH "VINOD"  जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:13pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव    जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by khursheed khairadi on January 2, 2015 at 1:48pm

आज तक न दे सके जवाब जिन सवालों का 
साथ मेरे  वो सिसकते कुछ जवाब रख देना

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में 
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना

आदरणीय सुशील सर सभी अशहार नायाब हुये हैं |सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service