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करके घायल ......

करके घायल नयन बाण से 

मंद-मंद मुस्काते हो
दिल को देकर घाव प्यार के
क्योँ ओझल हो जाते हो
प्यार जताने कभी स्वप्न में
दबे पाँव आ जाते हो
कुछ न कहते अधरों से
बस नयनों से बतियाते हो
क्षण भर के आलिंगन को
तुम बरस कई लगाते हो
फिर आना का वादा करके
विछोह वेदना दे जाते हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on January 1, 2015 at 4:28pm

आदरणीय    Dr. Vijai Shanker  जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 31, 2014 at 5:21am
फिर आने का वादा करके
विछोह वेदना दे जाते हो॥
सुन्दर, बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी।
Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 7:54pm

आदरणीय   somesh kumar जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 2:18pm

करके घायल चला वो 

सपन बनके पला हो 

फिर आया नहीं लौटकर 

उसका मिलना खला वो 

सुंदर प्रस्तुति है सर ,रचना में कभी पूर्णता नहीं आ सकती ,सब अपने नजरिए से देखते हैं ,पर स्वयं को अच्छी लगनी पहली जरूरत है ,बाकी सुधार करें तो अच्छा,ना करें तो भी अच्छा |its my personal thought that perfection is a dead end

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:17am

आदरणीय   Hari Prakash Dubey जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:17am

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी रचना पर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया का बहुत बहुत शुक्रिया। वस्तुतः ये सृजन काफी समय पूर्व का है इसीलिये ये कमी दृष्टिगोचर हो रही है। आपके द्वारा सुझाया गया सुधार बहुत ही सुंदर बन पड़ा है। आपने अपने अमूल्य सुझाव से रचना को जो मान दिया है उसके लिए बंदा आपका शुक्रगुजार है। कृपया अपना स्नेह बनाये रखें।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:10am

आदरणीय  Anurag Prateek जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:09am

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:08am

आदरणीय  डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 10:56pm

आदरणीय सरना जी, बहुत बहुत बधाई,सुन्दर रचना है !

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