For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

उत्तर से आ रही है

लाल हवायें

जीभ लपलपाती

गर्म सदायें

हिमालय बदहवास बिलकुल बेदम है

हवा में आक्सीजन शायद कुछ कम है

दो कपोत हैं अब हर घर में रहते

गुटरगूं करते जाने क्या कहते !

एक है श्वेत दूसरा काला है

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

दर्पण हाथों से छूट रहे है

मखमल पर गिरकर टूट रहे है

खाली बाल्टी की कतारें लगी है

बिल्लियाँ रास्ता काट रही है

कुतिया कुत्ते को डांट रही है 

लोहे में अछूट जंग लगने वाला है

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

काले कपडे में लोग घूम रहे है

मशान की हड्डियाँ चूम रहे है

दर्पण को सजी-बधू झांक रही है

माताएं उलटे बटन टांक रही है

झाड़ू पर पाँव रखे

डाईन खडी है

दूध कोई भेड़िया छलकाने वाला है 

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

काली पहाडी के पीछे

नाचते है प्रेत

अंधियारी बाग़ में

जिन्न समवेत 

खेतो में दूर कही रोते है स्यार

लकड़बग्घे आपस में करते है प्यार

बरगद में बत्तख करते है बीट

हंसती है मानवता मुर्दे को पीट

दुनिया के चेहरे पर

मकडी का जाला है   

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

चमगादड़ झूलते है

घर की छतो से

प्रेत-वाहन जानते हम

इन्हें मुद्दतो से

टूटता है सन्नाटा उल्लू की चीख से

सारे अंग उसके है तंत्र के प्रतीक से

आँखों में दरिंदो के वही वहशत है

देश में मसान है बड़ी दहशत है

कौए की चोंच में  

नाग फन वाला है !

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2015 at 6:47pm

आ० अनुज

आपका अनुमोदन साहस  देता है i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2015 at 8:09pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , एक अनजाने भय को जीती आपकी रचना भयभीत करने में सफल रही है, आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:48pm

जीतू भाई

आपकी सम्मति बहुमूल्य है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:47pm

आ0  वामनकर जी

कृतग्य हूँ श्रीमन i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:46pm

हरि प्रकाश जी

आपक स्नेह  यूँ  ही मिलता रहे i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:45pm

खुर्शीद जी

आपका आभार प्रकट करता हूँ  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:44pm

सोमेश कुमार जी\

आपको स्नेह  और आपका आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:43pm

विजय सर !

आपने अपनी कविता से मुग्ध कर दिया i सादर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2015 at 8:26pm

आज की खोखली व्यस्तता में बेफिक्र घूम रहे इंसानों में तो शायद कोई नहीं जानता...? क्या होने वाला है. बहुत प्रभावी प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें आदरणीय डा.गोपाल जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2015 at 8:03pm
आज की परिस्थितियों में आशंकाओं को अभिव्यक्त करती जीवंत रचना। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर। नमन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
12 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service