For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन जाने ?

बद्दुआओ में होता है असर 

वाणी के जहर 

ये काटते तो है

पर देते नहीं लहर

 

पुरा काल में

इन्हें कहते थे शाप

ऋषियों-मुनियों के पाप

दुर्वासा इसके

पर्याय थे आप

 

भोगता था

अभिशप्त वाणी की मार 

कभी शकुन्तला

या अहल्या सुकुमार

आह !आह ! ऋषि के

वे वाक्-प्रहार

 

मोक्ष भी

होता कभी शाप वह घोर

हंसता अभिशप्त का

जीवन मरोर

दुख के अर्णव में  

सारे सुख बोर

 

 

उनका शाप  

विष-बुझे तीर सा चले

गये सदैव निबल ही  

मुनि-सिद्ध से छले

वे ही समाज के थे

जीव भी भले 

 

कभी-कभी

हम भी देते हैं बद्दुआ

पर बताओ कभी कुछ

असर भी हुआ

किसी को वाणी के

जहर ने छुआ

 

तब बतलाओ 

मेरे मन के मधुर मौन

हम में और उनमे

दोनों में

श्रेष्ठ कौन ?

(मौलिक / अप्रकाशित )

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 12:40pm

शिज्जू भाई

बहुत बहुत बधाई i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:24am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर बेहतरीन कमाल की रचना हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 31, 2014 at 1:06pm

लडी वाला जी

आपका शत-शत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 31, 2014 at 1:05pm

हरिप्रकाश जी

आपका आभार i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2014 at 10:36am

चिंतन मनन परक रचना  हुई है | सुंदर और  भापूर्ण रचना के लिए  हार्दिक बधाई डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 30, 2014 at 11:10pm

पुरा काल में

इन्हें कहते थे शाप

ऋषियों-मुनियों के पाप

दुर्वासा इसके

पर्याय थे आप.........ये हुई शानदार रचना ,एक दम दिल से निकली हुई ....हार्दिक बधाई  आदरणीय डॉ .गोपाल नारायण सर ! सादर ..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 2:27pm

सोमेश कुमार जी

आपका आभार आत्मीय  !

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 2:24pm

तब बतलाओ 

मेरे मन के मधुर मौन

हम में और उनमे

दोनों में

श्रेष्ठ कौन ?

सुंदर रचना 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 2:02pm

आ० सरना जी

आपका प्यार हमें स्वीकार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 2:00pm

आ०  खुर्शीद जी

आपका सादर आभार i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service