बीते वर्षों में जो भी मिला है मुझे
नहीं उससे कोई गिला है मुझे
नयन नीर मिले कुछ पीर मिले
दिल के राजा हैं ऐसे फ़कीर मिले
इन्हें राजा बना दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया|
टुकड़े-टुकड़े किये जिनके सपनों को मैंने
खंडित किया जिनके अपनों को मैंने
व्यतित वर्ष में जिनका भी दिल दुखाया
हँसता हुआ मैंने जो महफ़िल जलाया
हँसी महफ़िल बना दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया |
इस नव वर्ष में बदल जायेंगे हम
गिरते -गिरते अब संभल जायेंगे हम
इमानदारी का पाठ हम पढ़ाएंगे
हर गरीबों के ठाठ हम बढ़ाएंगे
हर एब को मिटा दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया |
शत्रुओं को मित्र हम बनायेंगे
एक उत्तम चरित्र हम बनायेंगे
अपवित्र को पवित्र हम बनायेंगे
खुद का अमिट चित्र हम बनायेंगे
भ्रस्टाचार मिटा दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया ||
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"मौलिक व अप्रकाशित "
Comment
धन्यवाद् आ. भंडारी जी |
नये साल मे लिये शुभ संकल्पों के लिये बधाई , आदरणीय ।
सुन्दर अभिव्यक्ति i सस्नेह i
भ्रष्टाचार मिटा दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया ||
नव वर्ष पर सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई महर्षि त्रिपाठी जी.
नये साल की इस कविता के लिये आपको बधाई
सुन्दर भावनायें , सुन्दर रचना ..बधाई महर्षि त्रिपाठी जी !
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