For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : आजमाते पंख के फैलाव को.

2122,2122,212

सह सके ना फूल के टकराव को.

हैं मुकाबिल झेलने सैलाव को.

थामना पतवार सीखा है नहीं.

हैं चले खेने बिफरती नाव को.

हौसला उनका झुकाता आसमां.

आजमाते पंख के फैलाव को.

हर सफलता चूमती उनके कदम,

आजमाते वक़्त पर जो दाव को.

भाव उनके भी गिरेंगे एक दिन,

भूल जाते हैं सरे सद्भाव को.

.

हरिवल्लभ शर्मा दि. 04.01.2015

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 5, 2015 at 8:46pm

सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 5, 2015 at 6:18pm

हर सफलता चूमती उनके कदम,

आजमाते वक़्त पर जो दाव को. … सुन्दर रचना ..हार्दिक बधाई आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी ,  सादर!

Comment by ram shiromani pathak on January 5, 2015 at 3:23pm

ज़ोरदार कहन आदरणीय//हार्दिक बधाई आपको 

Comment by harivallabh sharma on January 5, 2015 at 2:14am

आदरणीय  Rahul Dangi साहब हार्दिक आभार आपने ग़ज़ल पर हौसला बढाया..सादर.

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 4, 2015 at 8:42pm
सुन्दर गजल आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी ने ख़ूब…"
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें।गुणीजनों…"
16 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
27 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब। ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। सबको आराम दे भी…"
39 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया, सभी…"
47 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
49 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"जो गया बीत उसको बिसार आदमीवक़्त आगे का अपना सुधार आदमी सबको आराम दे भी तो दे किस तरहनाते सौ और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ.लक्ष्मण सिंह ' मुसाफिर' ग़ज़ल का मतला , कमज़ोर  लगा और, शायद रब्त में नहीं हैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय संजय जी  नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय ऋचा जी। अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें। बाक़ी सब चर्चा हो ही गई  है। गुनीजनों ने …"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय समर साहब, आज अरसे बाद आपकी उपस्थिति हुई और मुशायरा झिलमिला उठा। हर बार की तरह इस बार भी बहुत…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय संजय जी अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें। बाक़ी सब चर्चा हो ही गई  है। गुनीजनों ने …"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service