For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1 2 2

 

भला क्या ?

बुरा क्या ?

 

खुदी से

मिला क्या

 

शज़र फिर

फला क्या ?

 

लिखे बस

पढ़ा क्या ?

 

फलक था

गिरा क्या ?

 

कहे बस

सुना क्या ?

 

नहीं दम

चला क्या ?

 

गजल ये

क़ता क्या ?

 

कटे पर

हवा क्या ?

 

मुहब्बत

दवा क्या ?

 

----------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर

----------------------------------

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:42pm

आदरणीया प्रतिभा जी आपकी सराहना और उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आभार ... एक रुक्नी ग़ज़ल ऐसे ही कह सकते है और इस रुक्न में केवल 5 मात्रा ही उपलब्ध है वो भी 122 में ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:22pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ...धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:21pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर आपकी सराहना और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद . नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 9:17pm
आदरणीय गिरिराज सर इस प्रयोग पर उत्साहवर्धक टिप्पणी और स्नेह के लिए हार्दिक आभार।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 12, 2015 at 5:06pm

गज़ब .........आदरणीय मिथिलेश जी दिल से बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 12, 2015 at 3:28pm

गजल कहूं या पहेली  ! लाजवाब i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 10:48am

बस ! कमाल है भाई मिथिलेश जी , बहुत खूबसूरती से इतनी छोटी बह्र निभाई है आपने । बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:27am

आदरणीय गुमनाम सर जी इस सराहना के लिए हार्दिक आभार ... हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:26am

आदरणीय खुर्शीद जी प्रयोग को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार, धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 12, 2015 at 8:24am

आदरणीय सोमेश भाई जी आपको ग़ज़ल पसंद आई .. हार्दिक आभार धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service