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सूरज का सातवा घोडा .....

आदित्य ,
तुम जीवन दाई हो
तुम्हारे ताप से जीवन चलता है
प्रेम भरा स्नेह मिलता है ,
समस्त धरा को ,
तूम दिनकर हो
रजनी को विदा करते हो
अनंत काल से ,
जीवन की मुस्कराहट आती है
तुम्हारे आगमन से ,
प्रभा आती है हरियाली में जिसके
ऊष्मीय स्नेह से प्रभाकर .,
दिन के नरेश ,  तुम्हारी सत्ता
धरती माँ को आभा देती है ,

खिलखाते है पुष्प .

फिर सोना उगले हरियाली ,

तुम्हारे ही तेज से ,भास्कर !

तुम समस्त जीवन हो 

इस  आकाश गंगा के 

तुम्हारा स्वागत है , नित 

मेरी धरती माँ की परिधि में ,

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Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on January 13, 2015 at 2:22pm

" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "

Comment by aman kumar on January 13, 2015 at 1:08pm

आपका आभार मिथिलेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 13, 2015 at 12:21pm
सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय अमन जी

कृपया ध्यान दे...

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