" मिल गया चैन तुमको , हो गयी तसल्ली " , उसके पिता खुद को संभाल नहीं पा रहे थे | " कितनी बार मना किया था कि उसे वहां मत भेजो , अब खो दिया न उसको "| बेटी की असमय मौत ने उनको तोड़ दिया था |
टूट तो मैं भी गयी थी लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी को उसकी मर्ज़ी की जगह नौकरी करने की वकालत करके मैंने कौन सा गुनाह कर दिया था | उसकी कही बात जेहन में घूम रही थी " जाना तो एक दिन सब को है माँ , तो क्यों न निडर होके अपने तरीके से जिया जाए | अपना आसमाँ खुद ढूंढा जाए "| बेहद मुश्किल था अब लेकिन मुझे सम्भालना था , खुद को भी और परिवार को भी | शायद बेटी की आत्मा के आसमाँ के लिए |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार जितेन्द्र पस्टारियाji.
मन में कई सवाल खड़े करती हुई ,लघुकथा. जो एक नजर से सकारात्मक भी ,तो दूसरी में नकारात्मक. बहुत-२ बधाई आदरणीय विनय जी
बहुत बहुत आभार सोमेश कुमार जी..
सुंदर लघुकथा |अंतर-वेदना को प्रकाश प्रदान करती और बेटी की आत्मा का आसमां देती बहुत ही सुंदर लघुकथा |
बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबेजी |
आदरणीय विनय जी शुभकामनायें इस लघुकथा पर !
बहुत बहुत आभार अलोक मित्तल जी..
अपना आसमाँ खुद ढूंढा जाए "|......
सुंदर लघु कथा आपकी
बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी |
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी | भय के चलते ही बच्चों को उनका जहाँ चुनने की आज़ादी नहीं देना क्या उचित है ?
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online