212 1222 212 1222
क्या हुआ है रातों में, झुरमुटों से पूछो तुम
रो रहीं हवायें क्यूँ , डालियों से पूछो तुम
ग़ायबाना भौंरों के , फूल क्यूँ अधूरे हैं -- ग़ायबाना - अनुपस्थिति में
सच तुम्हें बतायेंगीं , तितलियों से पूछो तुम
क्या हुआ है चंदा को, क्यूँ नज़र नहीं आता
ये चकोर क्या जाने, बदलियों से पूछो तुम
कोई ये कहे कैसे , मैं ही था गलत यारों
गोलियाँ चलीं कैसे , घाटियों से पूछो तुम
बे सदा रहें तो क्यों , रिश्ते टूट जाते हैं
दम ब दम बढ़ीं कैसे , दूरियों से पूछो तुम
बे गरज़ हक़ीकत अब , बोल कौन पाता है
तल्ख़ियाँ सहन हों तो , आइनों से पूछो तुम
उम्र मेरी कितनी है , दर्द है कहाँ मुझको
किस तरह यहाँ पहुँचा , सीढ़ियों से पूछो तुम
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई......................
आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..इसे पढ़कर तुम तो ठहरे परदेशी की याद आ गा गयी ..Vभौंरों बिन बाग़ोंके यहाँ तक्तीअ आपने कैसे की समझ में नहीं आया ..ग़ज़ल को गुनगुनाने में बहुत मज़ा आया .इस सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर ..बिन भंवर केबागों के .
आदरणीय गिरिराज सर बहुत सुन्दर रचना ........उम्र मेरी कितनी है , दर्द है कहाँ मुझको
कैसे मैं चढ़ा ऊपर , सीढ़ियों से पूछो तुम....इस पंक्ति ने कमाल कर दिया , बधाई सर ! सादर !
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