For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"उतारो कपड़े इसके , देखो किस तरफ का है " , भीड़ चिल्ला रही थी और वो थर थर काँप रहा था | शहर में अचानक दंगा भड़क उठा था और वो भाग रहा था कि किसी तरह अपने घर पहुँच जाए | लेकिन जैसे ही एक मोहल्ले में घुसा , सामने से आ रही भीड़ ने उसे घेर लिया |
अभी वो कपड़ा उतारने ही जा रहा था कि पुलिस की गाड़ी के सायरन की आवाज आई और भीड़ भाग खड़ी हुई | अब वो पुलिस की जीप में बैठा सोच रहा था कि आज वो तो नंगा होने से बच गया , लेकिन इंसानियत नंगी हो गयी |

.

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 4:15pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विनोद खनगवाल जी..

Comment by विनोद खनगवाल on January 23, 2015 at 3:56pm
आदरणीय विनय जी बहुत बढिया लघुकथा।
Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 10:05pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2015 at 8:47pm

आदरणीय विजय भाई , बहुर संवेदन शील विषय पर सुन्दर लघुकथा के लिये बधाइयाँ ।

Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 12:14pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी 

Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 12:14pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी | सही कहा आपने लोग पहनावे से भी पहचान लेते है अगर पहनावा उस तरह का हो | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 22, 2015 at 11:53am

दंगे भड़कने पर सच्चाई से ज्यादा अफवाह का बाजार गर्म हो जाता है, पब्लिक में भेडचाल दिखाई देती है, इंसानियत तब कही नहीं दिखाई देती | हरकोई हडभड़ी में होता है ऐसी सच्ची घटनाएं कई बार देखने में आई है|

Comment by somesh kumar on January 22, 2015 at 11:30am

आप ने तो पी.के वाला मूल -मंत्र मार दिया |देखों ,तो किसका ठप्पा है !पर भाई जी लोग बिना कपड़े उतारे ही आप के पहनावे ,ताबीजों और दुसरे माध्यमों से भी अपना ठप्पा जाँच लेते हैं |जो भी हो लघुकथा है और लघुकथा पर बधाई |

Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 10:22am

बहुत बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी..

Comment by विनय कुमार on January 21, 2015 at 9:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दया राम भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाईयाँ "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय भाई ,  अच्छी ग़ज़ल हुई है , आ. नीलेश भाई की सलाहें भी अच्छीं हैं , ध्यान …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे प्यार भी करते रहे   नव दवा बीमार का…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी , खूबसूरत ग़ज़ल  के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी एक और अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली , ग़ज़ल के लिए आपको बधाई , गिरह …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जू भाई बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाई , गिरह का शेर अच्छा लगा , आपको बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल कही कही है आपने , और चर्चा और सलाहें भी खूब हुई है , ग़ज़ल के लिए आपको…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, मुसहफी के शेर में जिस घटना का वर्णन है वह जल प्रलय की स्थिति पर है जब नूह या नोआ ने अपनी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर  अवतार वाला शेर एक तरह से उनके दंभ पर तंज़ है जो स्वघोषित धर्म रक्षक बने…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद। जो आपने कहा है वैसा प्रयास…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service