For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांस है मुसाफिर......(एक रचना )

सांस है मुसाफिर.......(एक रचना )

सांस है मुसाफिर इसको  राह में ठहर जाना है
जिस्म के  पैराहन को  जल के बिखर जाना है

दुनिया को मयखाना  समझ नशे में ज़िंदा रहे
होश आया तो समझे कि ख़ुदा  के घर जाना है

याद किसकी सो  गयी  बन के अश्क आँख में
धड़कनें समझी न ये  जिस्म  को मर जाना है

ज़िंदगी समझे जिसे  दरहक़ीक़त वो ख़्वाब थी
सहर होते ही जिसे बस रेत सा बिखर जाना है

कतरा-कतरा  प्यार  में जिस के हम मरते रहे
वो राह को  रोके खड़े हैं  हमको जिधर जाना है

दर्द ख्वाबों  के  हमारे  कोई भला क्या जानेगा
साथ  हस्ती  के इन्हें भी ख़ाक में मर जाना है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:54am

आदरणीय   Pari M Shlok  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Pari M Shlok on January 27, 2015 at 9:59am
बहुत ही सुन्दर रचना
Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:49am

आदरणीय   Rahul Dangi  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:49am

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 7:14pm
सुन्दर रचना !
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 24, 2015 at 7:12pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय शुशील जी. बधाई स्वीकारें

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:32pm

आदरणीय   डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:31pm

आदरणीय   Dr. Vijai Shanker जी रचना पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:31pm

आदरणीय  Er. Ganesh Jee "Bagi"    जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:30pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर    जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service