रिक्शा वाला
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आपको याद तो होगा
वो रिक्शा वाला
गली गली घूमता ,
माइक में चिल्लाता , बताता
आज फलाने टाकीज़ में , फलानी पिक्चर लगी है
पर्चियाँ हवा में उड़ाता
पर्चियों के लिये रिक्शे के पीछे भागते बच्चे
बच्चों को पर्चियाँ छीनते झपटते देख खुश होता
किसी निराश हुये बच्चे को पर्ची कभी अपने हाथों से दे देता
बिना किसी अपेक्षा के , आग्रह के ,
एक जानकारी सब से साझा करता
न कोई आग्रह , न अपेक्षा
और न ही शिकायत
आपके उस टाकीज़ तक न पहुँचने की
एक और रिक्शा वाला
पर्चियाँ उड़ाके ये बात साझा करता है
अपेक्षाओं और आग्रहों की ज़मीन में ही
पुष्पित पल्लवित होतीं है,
निराशायें , दुख- तकलीफें
वैसे तो आप स्वतंत्र हैं
अपनी झोली में कुछ भी समेटने के लिये
फूल , कांटे , पत्थर कुछ भी
फिर भी
चाहें तो पर्चियाँ सहेजें या चाहें उड़ा दें
रिक्शे वाला फिर आयेगा , दूसरे दिन
उसी उत्साह के साथ
और पर्चियाँ ले के
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय बागी भाई जी , आपकी सराहना रचना को मिली , मन प्रसन्न हो गया । आपकी सलाह का स्वागत है आदरणीय , वैसे मै भी प्रयास करूंगा , अनावश्यक शब्द हटा सकूँ , फिर भी अगर आप सहायता कर दें दो बहुत खुशी होगी । आपका दिली आभार ।
बहुत ही सुन्दर भाव युक्त इस अतुकांत कविता पर बधाई देता हूँ आदरणीय गिरिराज भाई साहब साथ ही यह कहना भी चाहता हूँ कि इस रचना से कुछ अनावश्यक शब्दों को हटाकर कविता को कॉम्पैक्ट किया जा सकता है जिससे रचना और निखर सकती है, सादर.
आदरणीया सीमा जी , रचना की केंद्रिय भावना तक पहुँच के प्रतिक्रिया देने और सराहना के लिये आपका आभारी हूँ
आदरणीय विजय भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय बड़े भाई , आपका बहुत बहुत आभार ।
आदरणीया राजेश जी , आपकी सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
पुरानी ज़मीन के खुशनुमा किस्सों का हिस्सा भोपूं पर ख़बरें बाँटता रिक्शेवाला फिर से याद हो आया मगर इस बार उसकी अहमियत एक नए दृष्टि कोण से देखने को मिली ...............
अपेक्षाओं और आग्रहों की ज़मीन में ही
पुष्पित पल्लवित होतीं है,
निराशायें , दुख- तकलीफें
मित्र
यह जो एक और रिक्शे वाला है i वही महत्वपूर्ण है और वही रचना को ऊँचाई प्रदान करता है i बधाई i
वैसे तो आप स्वतंत्र हैं
अपनी झोली में कुछ भी समेटने के लिये
फूल , कांटे , पत्थर कुछ भी
फिर भी
चाहें तो पर्चियाँ सहेजें या चाहें उड़ा दें
रिक्शे वाला फिर आयेगा , दूसरे दिन
उसी उत्साह के साथ
और पर्चियाँ ले के
सही सारगर्भित पंक्तियाँ ....सुन्दर रचना बधाई आपको
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