2122 2122 212
जब हमें दिल का लगाना आ गया
राह में देखो ज़माना आ गया
ख़त तुम्हारा देखकर बोले सभी
खुशबू का झोंका सुहाना आ गया
इक पता लेके पता पूंछे चलो
बात करने का बहाना आ गया
नाम तेरा जपते जपते यूँ लगे
अब तुझे ही गुनगुनाना आ गया
ज़िन्दगी रफ़्तार में चलती रही
मौत बोली अब ठिकाना आ गया
बेरुखी ने ही दिखाया गई हमें
फूल पत्थर पर चढ़ाना आ गया
शख्स इक गुमनाम देखा बोले सब
शहर में देखो दिवाना आ गया
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Comment
धन्यवाद मिथिलेश जी विस्तार से समीक्षा के लिए वाकई रचना लिखना सफल रहा आपकी पारखी नज़र पड़ी फिर धन्यवाद .............
बहुत सुन्दर मतला हुआ है.
ईमेल/ई मेसेज के जमाने में ख़त वाला शेर पढ़कर सही में लग रहा है "खुशबू का झोंका सुहाना आ गया"
इक पता लेके पता पूंछे चलो
बात करने का बहाना आ गया....... जबरदस्त... क्या बहाना ढूँढा है
नाम तेरा जपते जपते यूँ लगे
अब तुझे ही गुनगुनाना आ गया..... वाह
ज़िन्दगी रफ़्तार में चलती रही
मौत बोली अब ठिकाना आ गया ... बेहतरीन
बेरुखी ने ही दिखाया गई हमें
फूल पत्थर पर चढ़ाना आ गया... ये समझ नहीं आया
मक्ता भी शानदार ..... बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से दाद हाज़िर है
शख्स इक गुमनाम देखा बोले सब
शहर में देखो दिवाना आ गया
बहुत खूब गुमनाम भाई ...ज़िन्दगी रफ़्तार में चलती रही
मौत बोली अब ठिकाना आ गया ....शानदार , बधाई आपको !
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