तेरी बेव़फाई मेरी बेव़फाई
कहानी समझ में अभी तक न आई
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मेरे इश्क़ में तू उधर ज़ल रहा है
इधर मैंने ज़ल कर मुहब्बत निभाई
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बहाने बनाकर ज़ुदा हो गये हम
यूँ दोनों ने मिलके ही दुनिया हँसाई
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तुझे मैंने मारा क़भी खंजरों से
क़भी सेज काँटों की तूने बिछाई
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जलाये जो तूने मेरे प्यार के ख़त
तो तस्वीर तेरी भी मैंने ज़लाई
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभारडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव ji
आदरणीय कटारा जी
बेहतरीन रचना i कुछ अशआर बहुत ही अच्छे बन पड़े हैं i सादर i
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभारDr Ashutosh Mishra ji
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभाSamar kabeer ji
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभारsomesh kumar ji
मेरे इश्क़ में तू उधर ज़ल रहा है
इधर मैंने ज़ल कर मुहब्बत निभाई
..सुंदर गज़ल भाई ,बधाई
आदरणीय उमेश जी ..इस नदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभारgumnaam pithoragarhi ji
आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभारHari Prakash Dubey ji
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