For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वर्दी नंबर १२ : लघुकथा (हरि प्रकाश दुबे)

“हर बार, वह उस आखिरी ‘समोसे’ की तरह मन मसोस कर रह जाता, जिसे कोई नहीं खाता था, आखिर वह अपने डिग्री कॉलेज की क्रिकेट टीम का ‘१२ वाँ खिलाड़ी जो था’ पर आज उसने हिम्मत जुटाकर ‘कप्तान’ से कहा ‘सर’ एक बार मुझे भी खेलने का मौका चाहिए!”

“अरे यार, तुम तो टीम के अभिन्न अंग हो, तुम तो बस मैच का आनन्द लो, हां बस बीच –बीच में चाय, पानी, समोसा, कोल्डड्रिंक, जूस –वूस ले आया करो !”

“समय बदला और फाइनल मैच से ठीक एक दिन पहले कप्तान और उसका प्रिय खिलाड़ी कार दुर्घटना में जख्मीं हो गए, और उस दिन ‘आशुतोष’ की धुआंधार पारी की बदौलत टीम ने फाइनल मैच जीत लिया!” “आशुतोष को ‘मैन ऑफ़ द मैच’ घोषित किया गया, टीम का उत्साह अपने चरम पर था !”

“बियर की बोतल खुल चुकी थी, आशुतोष के साथ ‘जीत का कप’ हवा में लहरा रहा था, स्टेडियम में तालियों के शोर के बीच से एक आवाज़ बार-बार आ रही थी, वर्दी नंबर १२ .. वर्दी नंबर १२ !”

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”     

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 10:08am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर , रचना को स्वीकृति प्रदान करने एवं मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 10:06am
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब ,रचना पर आपकी उत्साहवर्धक सराहना के लिए, आपका बहुत-बहुत आभार ,सादर
Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 10:04am
आदरणीय खुर्शीद खैरादी साहब रचना पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका ! सादर
Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:59am

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर आपका आशीर्वाद मिल गया ,रचना सार्थक हुई ! सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:57am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह मिला आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:56am

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी , उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका  हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ,हार्दिक धन्यवाद ! 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:54am

आदरणीया अर्चना तिवारी जी, रचना पर आपके समर्थन से बल मिला, लघुकथा की मुक्तकंठ से प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:51am

आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह मिला  आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ,आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 12:10pm

आदरणीया उषा चौधरी साहनी जी,  रचना पर आपकी प्रतिक्रिया हेतू बहुत बहुत आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 12:02pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर आपकी उपस्थिति और आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service