२२२२ २२२२ २२२२ २
शर्मिंदा आज किसी रूह की पैदाइश होगी---रूह में ह साइलेंट है
गैरों के आगे फिर सूरत की नुमाइश होगी
फिर से टूटेगा रब की रहमत का देख भरम
फिर आज किसी की किस्मत की आजमाइश होगी---(आजमाइश की मात्रा गिराकर अजमाइश किया है)
ज़र्रे ज़र्रे में महकेगी दौलत की खुशबू
नजरों नजरों में फिर कोई फर्माइश होगी
हँस हँस के मिटेगी जल जल के लुटेगी रात शमा
धज्जी धज्जी दिल टूटी टूटी ख्वाइश होगी----(ख्वाहिश को ख्वाइश लिया है )
रब तेरी इनायत के मिल जाएँ कभी दो कतरे
तहरीरों में तेरी कोई तो गुंजाइश होगी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ० भुवन निस्तेज भाई जी ,आपको ये ग़ज़ल प्रभावित की मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका.
आ० गिरिराज जी,ग़ज़ल आपको पसंद आई ,आप जैसे गंभीर ग़ज़लकार से दाद पाना ही बहुत बड़ी बात है मेरा लिखना सफल हुआ दिली आभार आपका सादर .
आ० मोहन सेठी जी ,ग़ज़ल के भाव आपको पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका.
प्रिय प्रतिभा जी ,ग़ज़ल के भाव आपको प्रभावित कर सके मेरा लिखना सफल हुआ तहे दिल से आभारी हूँ |
मिथिलेश जी ,आप जैसे ग़ज़ल गो से दाद पाना अपने आप में लेखन के प्रति आश्वस्त करता है मेरा लिखना सफल हुआ हाँ बह्र लिखना भूल गई थी जैसा की हमेशा लिखती हूँ इस बार न जाने कैसे भूल गई ,अब संशोधित की है एक और त्रुटी को आपने नजरअंदाज किया था जो आ० गणेश जी ने बताई वो भी ठीक कर ली है |आपका तहे दिल से शुक्रिया ,आभार
प्रिय महिमा श्री जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभारी हूँ |
आ० गणेश जी आपको ग़ज़ल उसके भाव पसंद आये ये मेरे लेखन के प्रति आश्वस्तता है ,आपको धन्यवाद कहना चाहूंगी कि आपने एक बड़ी त्रुटी की और ध्यान आकर्षित किया न जाने कैसे हो गई थी ये गलती .अब संशोधित कर लिया है आपका दिल से पुनः आभार .
आदरणीया राजेश जी , बढिया मतला से शुरु हुई ग़ज़ल आखिर तक बहुत अच्छी लगी ।
फिर आज किसी की किस्मत की आजमाइश होगी
गैरों के आगे फिर सूरत की नुमाइश होगी ---- अति सुंदर - दिली बधाई स्वीकार करें ॥
बातें ( विषय ) सीधी समझ मे आ रहीं है , आप नाहक़ शंका कर रहीं थीं - आपको पुनः बधाइयाँ ॥
आदरणीया राजेश कुमारी जी दिल में उतरते शब्द ...बहुत भावपूर्ण ....ख़ुशी है कि आजकल समाज बदल रहा है बेशक धीरे धीरे ...सादर
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