For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आसमां को भी कभी सर पर उठाकर देखिये : ग़ज़ल : हरि प्रकाश दुबे

2122--2122--2122--212

इक यही सूरत बची है आज़्मा कर देखिये

दोस्ती अब दुश्मनों से भी निभाकर कर देखिये

 

आँख से रंगीन चश्में को हटाकर देखिये

जिंदगी के रंग थोड़ा पास आकर देखिये

 

रोज खुश रहने में दिल को लुत्फ़ मिलता है मगर

जायका बदले ज़रा सा ग़म भी खाकर देखिये

 

कल बड़ी मासूमियत से आईने ने ये  कहा

हो सके तो आज मुझको मुस्कराकर देखिये

 

छोड़ कर इन ख़ामोशियों को चार दिन तन्हाँ कहीं

आसमां को भी कभी सर पर उठाकर देखिये

 

ख़ुशबुओं के काफिले जायेंगे खुद ही दूर तक

इक जरा सा आप फूलों को हसाँकर देखिये

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 18, 2015 at 8:39pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी , बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 18, 2015 at 8:38pm

आदरणीय मोहन सेठी जी, ह्रदय से आभार आपका ,सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 17, 2015 at 8:19pm

आदरणीय डॉक्टर  विजय शंकर सर, रचना के समर्थन एवं  आपकी उत्साह भरी प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 17, 2015 at 8:04pm

 आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी , रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पर आपका हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 17, 2015 at 8:01pm

आदरणीय निर्मल नदीम भाई , आपका हार्दिक  आभार ! सादर 

Comment by Nirmal Nadeem on March 17, 2015 at 3:13pm

behad umda ghazal hui hai janab.

bahut bahut mubarak ho. daad hazir hai.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:33am

हर शेर उम्दा ....बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है जनाब ...बधाई.... सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 9:33pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , रचना की सराहना करने के लिए आपका बहुत- बहुत  आभार ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 8:12pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 7:56pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, आपकी सराहना एवं स्नेह से उत्साह बढ़ जाता है ! हार्दिक आभार ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service