कहें भी तो कहें किससे जला दिल वो दिखाता है
मिला कर जाम में आँसू मुझे हरदम पिलाता है
मिटाने को अगर तुम गम चले हो जाम पीने तो
न पीना तुम कभी इसको बहुत ये दिल जलाता है
न मैखाना कभी देखे समझ लो कुछ न देखे तुम
निराली है अदा इसकी गज़ल गूगॉं सुनाता है
बड़ी बेकार दुनिया है नहीं है प्यार अब इसमें
बिना मतलब यहाँ कोई न हाथो को बढ़ाता है
न रखनी है मुझे यारी कभी धीरज से मानव अब
जिसे मैं प्यार करता हूँ उसे पागल बताता है
अखंड गहमरी
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत ही सुन्दर गजल! ढेरों दाद हाजिर है आ० अखंड जी!
आदरणीय अखंड जी , सुन्दर रचना पर आपको दिली बधाई !
सुन्दर रचना आदरणीय अखंड गहमरी जी , बधाई आपको ! सादर
आ० गहमरी जी
सुन्दर गजल के लिए बधाई .
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