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 कहें भी तो कहें किससे जला दिल वो दिखाता है

मिला कर जाम में आँसू मुझे हरदम पिलाता है

मिटाने को अगर तुम गम चले हो जाम पीने तो

न पीना तुम कभी इसको बहुत ये दिल जलाता है

न मैखाना कभी देखे समझ लो कुछ न देखे तुम

निराली है अदा इसकी गज़ल गूगॉं सुनाता है

बड़ी बेकार दुनिया है नहीं है प्‍यार अब इसमें

बिना मतलब यहाँ कोई न हाथो को बढ़ाता है

न रखनी है मुझे यारी कभी धीरज से मानव अब

जिसे मैं प्‍यार करता हूँ उसे पागल बताता है

अखंड गहमरी

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 31, 2015 at 5:31pm

बहुत ही सुन्दर गजल! ढेरों दाद हाजिर है आ० अखंड जी!

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 31, 2015 at 3:32pm

आदरणीय अखंड जी , सुन्दर रचना पर आपको दिली बधाई !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 7:54pm

सुन्दर रचना आदरणीय अखंड गहमरी जी , बधाई आपको ! सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 29, 2015 at 11:48am

आ० गहमरी  जी

सुन्दर गजल के लिए बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 29, 2015 at 3:19am
आदरणीय अखंड जी बहुत ही प्यारी ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई निवेदित है।

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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