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अक़्ल पे यकीन नहीं रह गया दोस्तों ---डा० विजय शंकर

पहली अप्रेल की भेंट

अब तो अक़्ल पे यकीन नहीं रह गया दोस्तों ,
आप ही बताएं अक़्ल बड़ी या भैंस दोस्तों ॥
आप कहेंगें अक़्ल बड़े काम की चीज है
मैं कहूँगा, अक़्ल से काम लो , अक़्ल
किसी काम की चीज नहीं है दोस्तों ॥
अक़्ल हमेशा भैंस से मात खा जाती है ,
सामना भैंस से हो तो गुम हो जाती है ॥
अक़्ल अपनी हिफाज़त ही नहीं कर पाती है
भैंस उसे देखते देखते ही चर जाती है ॥
अक़्ल कुछ देती है , पक्का मालूम नहीं ,
भैंस अक्सर दूध देती तो है दोस्तों ॥
भैंस का दूध पीने से ताकत आती है ,
ताकत वाले की लाठी चलती है दोस्तों॥
जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है दोस्तों
भैस वालों की ही लाठी चलती है दोस्तों ||
अक़्लवर्द्धन हेतु भैंस के दूध की जरुरत होती है ,
भैंस को अक़्ल की जरुरत नहीं होती है दोस्तों ॥
अक़्ल की कहीं कोई कीमत नहीं लगाता है
भैंस के दूध के दाम बढ़ते रहते हैं दोस्तों ॥
अक़्ल का कहीं कोई खरीदार नहीं मिलता है
भैंसों के लिए बड़ी मारामारी है दोस्तों॥
अब भी यही कहते हो कि अक़्ल बड़ी चीज है तो
अपने को लुटने से पिटने से बचा के दिखा दो ॥
भैंस होगी पास तो मुसीबत फटकेगी नहीं पास
आराम से कटेगी , हड़क के साथ रहोगे दोस्तों ॥
अक़्ल की बात भूले से भी मत करना , मारे जाओगे ,
भैंस होगी पास , औरों को हड़का के रहोगे दोस्तों ॥


मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 661

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Comment by Dr. Vijai Shanker on April 2, 2015 at 1:57am
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपको व्यंग पसंद आया ,आपकी प्रशस्ति के लिए आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 2, 2015 at 1:55am
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण जी , आपको व्यंग पसंद आया , अच्छा लगा , आपका आभार , धन्यवाद, सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on April 1, 2015 at 5:12pm

भावो  से ओत प्रोत इस रचना के लिए  हार्दिक धन्यवाद i

.सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 1, 2015 at 1:51pm

आ० विजय सर !

अक्ल बड़ी की भैंस को आपने अनोखे ढंग से परिभाषित किया . बहुत आनंद  आया. सादर .

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