For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आते-आते मैंने भी ललना से लगन लगाई है
थोड़ी कह लो देर भले,मैंने भी बीबी पायी है
आयी,मन की कोई भी कली नहीं मुरझाई है
लगता सब हरा-हरा,ख़ुशी चतुर्दिक छाई है।
हूरों की मशहूर कथाएँ होंगी,मुझे भला क्या,
मुझको तो अपनीवाली सबसे आगे भायी है
खाते ठोकर रह गये, कुछ भी तो मिला नहीं,
मुझको तो अपनीवाली मीठी-सी खटाई है।
बूँद-बूँद पानी को तरसा,चलती रहीं हवाएँ,
बेमौसम बरसात हुई,रूप की बदली छाई है।
फूल-फूल भटका हूँ ,काँटों की ताकीद रही,
मधु का अक्षय कोष ले मेरी'दुनिया'आयी है।

.
@मनन(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 366

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on April 12, 2015 at 9:12am

आदरणीय मिथिलेश जी, गोपालजी व गिरिराज भाई ! स्नेह-अर्पण तथा मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी को। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 6, 2015 at 12:01am

 आदरणीय मनन भाई , रचना के लिये बधाई ! पर-  गीतिका के विष्य मे आदरणीय गोपाल भाई जी से सहमत हूँ ।

Comment by Samar kabeer on April 5, 2015 at 11:02pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,आरम्भिका से लेकर अन्तिका तक सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2015 at 8:53pm

आ0  मनन जी

मानक के अनुसार यह न तो मात्रिक गीतिका छंद है और न वर्णिक . फिर  गीतिका का क्या आशय  है कही छोटा गीत तो आपका तात्पर्य  नहीं है . सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 5, 2015 at 5:59pm

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रस्तुति हेतु बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service