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आदरणीय दिनेश जी बड़ी सुंदर रवाँ ग़ज़ल कही है दिली दाद कुबूल फरमायें
अदना से प्रयास की सराहना करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर जी। बह्र की बाबत आप ने मार्गदर्शन किया, बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय।
इस सुन्र् प्रयास पर दाद कुबूल करे, दिनेश भाई ..
बहर के वज़न का आखिरी लाम मेन्शन करना कोई आवश्यक नहीं. आपने कई उलाओं में इसे नहीं निभाया है.
शुभेच्छाएँ
सुन्दर गजल पर,दिली दाद कबोल करें! आदरणीय!
Aa.dinesh ji,
Bahut sundar .Hardik badhai.
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