बैसाखी की सबको शुभकामनाये
(दस माहिया)
(१)
कोठे पे वो पाखी
नाच रहा देखो
अज आई बैसाखी
(२)
गेहुओं की बालियाँ
फसल कटी देखो
नच पीट के तालियाँ
(३)
नच लें औ गायें हम
आई बैशाखी
नव वर्ष मनाएँ हम
(४)
करो तन मन चंगा जी
आज धरा पर खुद
उतरी थी गंगा जी
( ५ )
गुरु गोविंद सिंह हुए
बना खालसा पन्थ
जग में मशहूर हुए
(६ )
तोड़ा गुलामी रिंग
रूढ़ीवाद मिटा
बना निर्बल को सिंह
(७)
अमृतसर या काँगड़ा
नच पंजाब रहा
गिद्दा और भाँगड़ा
(८)
लम्हे न्यारे न्यारे
शबद औ कीर्तन से
सम्मानित पञ्च प्यारे
(९ )
केरल भी मनाता है
दिन बैसाखी का
वहाँ ‘विशु’ कहलाता है
(१०)
रब दूर करेगा गम
दिन है खुशियों का
मिलजुल के मना लें हम
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
हार्दिक धन्यवाद आ० सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी .
सुन्दर माहिया और सीख भी
जय श्री राधे
भ्रमर ५
आ० डॉ० गोपाल भाई जी , आपको माहिया पसंद आये मेरा लिखना सफल हुआ |
आ० गणेश जी ,आपको माहिया पसंद आये मेरा लिखना सफल हुआ |
प्रिय निधि जी ,आपको माहिया पसंद आये बहुत बहुत शुक्रिया ,आपको इस विधा की जानकारी ओबिओ पर ही छंद समूह में मिल जायेगी ,आपके संशय का उत्तर आ० योगराज जी ने सोदाहरण दे ही दिया ,कई पिक्चर्स में माहिया आ चूका है |
आ० दीदी
बहुत सुन्दर और बैसाखी को रूपयित करते चुटीले माहिया i सादर .
वाह वाह सभी माहिया एक से बढ़कर एक, आपको भी वैशाखी की लख लख बधाईयाँ आदरणीया राजेश जी.
क्या ये फ़िल्मी गीत कभी सुने हैं निधि अग्रवाल जी ?
रेशम की डोरी
कहाँ जइहो निंदिया
चुरा के चोरी चोरी
कोठे ते काँ बोले
उस दिन को देखूँ
जिस दिन तू हाँ बोले
ये है माहिया।
आदरणीय राजेश जी .. सुन्दर लेखन है आपका... माहिया कभी सुने नहीं है इसलिए इस विधा का पता नहीं है
पढ़कर तो बहुत अच्छा लगा
आ० श्री सुनील जी,आपको माहिया पसंद आया बहुत- बहुत शुक्रिया.
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