बैसाखी की सबको शुभकामनाये
(दस माहिया)
(१)
कोठे पे वो पाखी
नाच रहा देखो
अज आई बैसाखी
(२)
गेहुओं की बालियाँ
फसल कटी देखो
नच पीट के तालियाँ
(३)
नच लें औ गायें हम
आई बैशाखी
नव वर्ष मनाएँ हम
(४)
करो तन मन चंगा जी
आज धरा पर खुद
उतरी थी गंगा जी
( ५ )
गुरु गोविंद सिंह हुए
बना खालसा पन्थ
जग में मशहूर हुए
(६ )
तोड़ा गुलामी रिंग
रूढ़ीवाद मिटा
बना निर्बल को सिंह
(७)
अमृतसर या काँगड़ा
नच पंजाब रहा
गिद्दा और भाँगड़ा
(८)
लम्हे न्यारे न्यारे
शबद औ कीर्तन से
सम्मानित पञ्च प्यारे
(९ )
केरल भी मनाता है
दिन बैसाखी का
वहाँ ‘विशु’ कहलाता है
(१०)
रब दूर करेगा गम
दिन है खुशियों का
मिलजुल के मना लें हम
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
मिथिलेश भैया ,आपको माहिया पसंद आये बहुत बहुत शुक्रिया ...असली आनंद तो माहिया गाकर आता है इनकी इतनी प्यारी लय होती है जो सुनने में बहुत अच्छी लगती है |
कृष्ण मिश्रा जी ,बहुत- बहुत शुक्रिया ..सच में आज किसानो के हालात सही नहीं है पर सब दिन एक से नहीं रहेंगे उम्मीद पे दुनिया कायम है हमारा तो पैत्रक व्यवसाय कृषि ही है प्राकर्तिक ,राजनैतिक समस्याओं से दो चार सदा से होते ही आये हैं.
बहुत बहुत शुक्रिया आ० डॉ० विजय शंकर जी |
आ० श्याम नारायण जी ,माहिया आपको पसंद आये दिल से आभार आपका |
सुन्दर रचना पर बधाई आदरणीय! इस साल मेरे ख्याल से पूरे भारत का किसान बैसाखी मनाने की स्थिति में नही है, किसानो की आत्महत्या की ख़बरों से हर कहीं सुर्खियों में है!ईश्वर इस मुश्किल घड़ी से सामना करने का उन्हें हौसला दे!
उम्दा प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. |
सादर ....
आ० योगराज जी,माहिया प्रस्तुति को सर्वप्रथम आपका आशीर्वाद मिला इस माहिया प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार आपका|बैसाखी की स्पेलिंग गलत हो गई है इसको अभी एडिट करती हूँ |
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