For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो चुकी हो तुम एक पाषाण

वो एहसासों की लहरों पे तैरना

धड़कनों को खामोशीओं में सुनना

होठों को छू लेने की तड़प

आगोश में भर लेने की चसक

सब रेत के घरोंदे थे .........

रेत के इन घरोंदों को

तूफ़ान से पहले क्यूँ खुद ही ढाना पड़ता है !

चादर में ग़मों की फटन को

वक़्त के धागे से क्यूँ ख़ुद ही सीना पड़ता है !

नींद के आगोश में

मरे हुए ख़वाबों को क्यूँ खुद ही ढोना पड़ता है !

उमंगों के उड़ते परिंदों को

दर्द के दरिया में क्यूँ ख़ुद ही डुबोना पड़ता है !

पाषाण नहीं पिघलते कभी ......

बार बार ये बात ख़ुद को समझाना पड़ता है !!

******************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 27, 2015 at 6:48am

आदरणीय 'जान' साब ....सराहना हेतु आभार ...(सर कह कर इतना ना चढायें गिरने पे चोट लग सकती है ....हाहा ...) 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 27, 2015 at 6:44am

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार....सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 26, 2015 at 4:23pm

सुन्दर कविता पर मुबारकबाद आदरणीय 'इन्तजार' सर जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 9:19am

भावपूर्ण रचना है सेठी जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 1:12pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी पसंदगी के लिये हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 1:11pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आपको अच्छी लगी ...प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत आभार

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 1:09pm

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी मार्गदर्शन करते रहें ...सराहना हेतु बहुत बहुत आभार

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 1:07pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Shyam Narain Verma on April 24, 2015 at 10:16am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति  iहार्दिक बधाई ....

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 23, 2015 at 10:38pm
आदरणीय मोहन सेठी जी,
बहुत खूब , बहुत खूब , बहुत खूब , बहुत बहुत बधाई ,
चलते चलते , कुछ कहूँ ,
पत्थरों से दिल
लगाने से बेहतर है ,
उन्हें पूजिए ,
सुकून तो मिलेगा।
सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service