For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उस घर के आँगन में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ और माहौल एकदम शांत था. अचानक जैसे ही तिरंगे में लिपटे हुए शव को सेना के वाहन से लाया गया तो सबसे पहले अपना होश खोकर वो घर के अन्दर से पागलों की तरह चीख मारती हुयी अपने दस वर्षीय बेटे के साथ,  बाहर आकर सीमा पर शहीद हुए अपने पति के शव से लिपट-लिपट कर रोने लगी. शहीद सीमा सुरक्षा बल का जवान था. उसने दुश्मनों की सीमा में घुसकर उनके दल-बल को तहस-नहस कर डाला. बाद में दुश्मनों ने धोखे से उसे बंदी बनाकर रखा, फिर  उसकी आँखें फोड़ दी गईं और शरीर को गोलियों से छलनी कर फेंक दिया. बुरी तरह क्षत-विक्षत चेहरे को देख, थोड़ी देर में  ही रोते-रोते उसके  मुंह से आवाज निकलना बंद हो गया.. और  पास ही बैठा उसका लाल, उसकी ठोड़ी को अपने नन्हे हाथों से पकड़कर बोला...

“ माँ!! मैं भी बड़ा होकर, पापा की तरह दुश्मनों को मार गिराऊंगा...”

उस विधवा ने अपने हाथ को अपने बेटे के सिर पर फेरते हुए एक माँ के फर्ज अदा करने की ठान ली थी...

                                                 

 

  जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)     

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 3, 2015 at 7:33pm
आदरणीय जितेंद्र पस्टारिया जी आपका बहुत बहुत आभार
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 12:42am

आदरणीय विजय निकोर जी, आदरणीय जवाहर जी, आदरणीय श्याम नारायण जी, आदरणीय अखिलेश जी, आदरणीय नवीन जी. आप सभी की उपस्थिति व् प्रोत्साहित करती सराहना के लिए ह्रदय से आभारी हूँ. स्नेह यूहीं बनाये रखियेगा

 सादर!.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 12:27am

आदरणीय बागी जी. आपकी बहुमूल्य उपस्थिति, लघुकथा पर तमगा है, आपका ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 30, 2015 at 12:17pm

बहुत ही सुन्दर कहने का अंदाज बिलकुल अलग!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 29, 2015 at 1:37pm

आदरणीय सौरभ जी. आपकी बधाई व् शुभकामनायें सिर आँखों पर. यह क्षण आपके आशीर्वाद व् मार्गदर्शन का नतीजा है. आपके स्नेह का हृदयतल से आभारी हूँ

सादर!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 28, 2015 at 11:03pm

वाह भाई जितेद्र जी, आप इस लघुकथा को सीमा से खींच लाए , अच्छी और प्रेरक कथा पर बधाई.

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 28, 2015 at 10:06pm
मित्र प्रेरणादायक कहानी है
आम तौर पर जब पति और बाप की लाश आती है तो शब्द मौन हो जाते हैं सिर्फ आँसू ही दीखते हैं ।
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 28, 2015 at 5:34pm

आ. जीतू भाई 

मार्मिक जरूर है पर सच पूछो तो यह साहसी माँ और बेटे  की कथा है। हार्दिक बधाई 

Comment by vijay nikore on April 28, 2015 at 4:26pm

 अति मार्मिक लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2015 at 1:16pm

आपके कहने के ढंग में स्थायित्व आता जारहा है, जितेन्द्र भाई .. मेरे लिए ये आश्वस्त करते क्षण हैं.

हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
14 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
21 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service