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नया तूफ़ान ........इंतज़ार

जिंदगी में कोई

क्यूँ नहीं मिलता
एक नया तूफ़ान

क्यूँ नहीं खिलता
मैं भी देख लूँ जी के

ऊँचे टीलों पे
क्या होते हैं एहसास

इन कबीलों के !

मैं भी उड़ लूँ

तूफ़ानी फिज़ाओं में
जानता हूँ एक दिन

तूफ़ान थम जायेंगे
फिर खुशिओं के

उत्सव ढल जायेंगे
और बेवफाईओं के

ख़ामोश पल आयेंगे !

मौत आ जाये बेधड़क

तूफ़ान के बवंडर में

न होने से तो

कुछ होना अच्छा होगा
प्यार ना मिलने से तो

मिलकर खोना अच्छा होगा
धोखा भी हुआ तो

क्या फ़र्क होगा
यादों की धरोहर तो मेरा हिस्सा होगा ........

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on April 30, 2015 at 1:48am
धोखा भी हुआ तो
क्या फ़र्क होगा
यादों की धरोहर तो मेरा हिस्सा होगा ........
वाह, धोखा भी अच्छा होता है , कुछ तो दे ही जाता है, यादें....... , अनुभव।
बधाई , आदरणीय मोहन सेठी जी, सादर।
Comment by Samar kabeer on April 29, 2015 at 6:19pm
जनाब मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |

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