For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साँवली लड़की ( लघुकथा )

" राहुल अभी आकर सोफे पर बैठा ही था कि उसके पापा भीतर से बाहर आये I 

" बड़ी देर कर दी बेटा आने में आज !! सब ठीक है न !! "
" पापा आप चाहते थे न कि मैं शादी कर लूँ , मैं इस लड़की से शादी करना चाहता हूँ " उसने अपने मोबाइल में उसका फोटो दिखाते हुए कहा I
" ये साँवली सी साधारण लड़की !! कहाँ तुम , कहाँ ये !! कहाँ मिली तुम्हे ये ? और ये इसके साथ कौन है ? " एक साथ ढेरो सवाल पूछ लिए उसके पिता ने I
" पापा ,इसका साँवला और साधारणपन भले ही दुनियावी खूबसूरती के मापदंड पर खरा न उतरे ,पर मन के सौंदर्य में इसका सानी नही !! और ये इसके साथ एक अनाथाश्रम के कोई बुजुर्ग हैं , पापा जिस उम्र में अन्य लड़कियाँ फैशन की दुकान बन पैसो को उडाने को तवज्जों देती हैं , व्ही ये अपनी पाकेट मनी ऐसे बुजुर्गों और बच्चों के जन्मदिन पर उन्हें तोहफे देने में खर्च करती हैं , पापा जो लड़की दूसरों के बारे में इतना सोचती हैं वो अपने परिवार का कितना ख्याल रखेगी !! "
" लेकिन उसकी जात विरादरी ? "
" पापा , इंसानियत से बड़ी कोई जाति नही !! "

मीना पाण्डेय
बिहार
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by meena pandey on May 4, 2015 at 3:19pm

आभार आ  जितेन्द्र पस्टारिया  जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 11:22am

बहुत बढ़िया लघुकथा, साझा की आपने. आदरणीया मीना जी. कथा से बहुत सुंदर सन्देश मिलता है, बधाई प्रस्तुति पर आपको

Comment by meena pandey on May 3, 2015 at 11:25pm

आभार आ मिथिलेश वामनकर  जी   

Comment by meena pandey on May 3, 2015 at 11:24pm

आभार आ Rajesh kumari  जी   

Comment by meena pandey on May 3, 2015 at 11:22pm

आभार आ Kewal  prasad  जी   

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 3, 2015 at 9:06pm

आदरणीया मीना जी,  गम्भीर विषय पर सार्थक सोच..के लिये बधाई स्वीकारे.  हाँ ...अंतिम पंक्ति की कोई उपयोगिता नही  रह गयी.  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2015 at 9:46am

अच्छा सन्देश देती लघु कथा ,बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 9:58pm

सुन्दर सन्देश देती लघुकथा 

इतने अच्छे कथानक की प्रस्तुति हेतु आभार 

पंच लाइन का कथन थोड़ा दमदार हो सकता है 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 9:57pm

सुन्दर सन्देश देती लघुकथा 

इतने अच्छे कथानक की प्रस्तुति हेतु आभार 

पंच लाइन का कथन थोड़ा दमदार हो सकता है 

सादर 

Comment by meena pandey on May 2, 2015 at 6:16pm

आभार आ महिमा श्री जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service