" राहुल अभी आकर सोफे पर बैठा ही था कि उसके पापा भीतर से बाहर आये I
" बड़ी देर कर दी बेटा आने में आज !! सब ठीक है न !! "
" पापा आप चाहते थे न कि मैं शादी कर लूँ , मैं इस लड़की से शादी करना चाहता हूँ " उसने अपने मोबाइल में उसका फोटो दिखाते हुए कहा I
" ये साँवली सी साधारण लड़की !! कहाँ तुम , कहाँ ये !! कहाँ मिली तुम्हे ये ? और ये इसके साथ कौन है ? " एक साथ ढेरो सवाल पूछ लिए उसके पिता ने I
" पापा ,इसका साँवला और साधारणपन भले ही दुनियावी खूबसूरती के मापदंड पर खरा न उतरे ,पर मन के सौंदर्य में इसका सानी नही !! और ये इसके साथ एक अनाथाश्रम के कोई बुजुर्ग हैं , पापा जिस उम्र में अन्य लड़कियाँ फैशन की दुकान बन पैसो को उडाने को तवज्जों देती हैं , व्ही ये अपनी पाकेट मनी ऐसे बुजुर्गों और बच्चों के जन्मदिन पर उन्हें तोहफे देने में खर्च करती हैं , पापा जो लड़की दूसरों के बारे में इतना सोचती हैं वो अपने परिवार का कितना ख्याल रखेगी !! "
" लेकिन उसकी जात विरादरी ? "
" पापा , इंसानियत से बड़ी कोई जाति नही !! "
मीना पाण्डेय
बिहार
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
आभार आ जितेन्द्र पस्टारिया जी
बहुत बढ़िया लघुकथा, साझा की आपने. आदरणीया मीना जी. कथा से बहुत सुंदर सन्देश मिलता है, बधाई प्रस्तुति पर आपको
आभार आ मिथिलेश वामनकर जी
आभार आ Rajesh kumari जी
आभार आ Kewal prasad जी
आदरणीया मीना जी, गम्भीर विषय पर सार्थक सोच..के लिये बधाई स्वीकारे. हाँ ...अंतिम पंक्ति की कोई उपयोगिता नही रह गयी. सादर
अच्छा सन्देश देती लघु कथा ,बहुत बहुत बधाई
सुन्दर सन्देश देती लघुकथा
इतने अच्छे कथानक की प्रस्तुति हेतु आभार
पंच लाइन का कथन थोड़ा दमदार हो सकता है
सादर
सुन्दर सन्देश देती लघुकथा
इतने अच्छे कथानक की प्रस्तुति हेतु आभार
पंच लाइन का कथन थोड़ा दमदार हो सकता है
सादर
आभार आ महिमा श्री जी
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