"कितने शर्म की बात है, हमारे आका लोग दुनिया भर से अरबों खरबों भेज चुके हैं, मगर तुम लोग फिर भी आज तक हिन्दुस्तान के टुकड़े नही कर पाए।"
"हमने हरचन्द कोशिश की, मगर ....."
"मगर क्या ?"
"ये लोग टूटते ही नहीI"
"क्यों नही टूटेंगे ? तुम इनको धर्म के नाम पर क्यों नही तोड़ते?"
"हम कश्मीर और पंजाब समेत कई जगहों पर ये कोशिश पहले ही कर चुके हैं सर।"
"कोशिश कर चुके हो तो कामयाब क्यों नही हुए अब तक?"
"क्योंकि इस देश की बुनियाद नफ़रत पर नही प्रेम पर रखी गई है सर।"
.
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
बुनियाद मजबूत हो तो तीव्र भूकंप के झटके भी झेलने में सक्षम | आपसी सद्भाव और प्रेम की बुनियाद पर टिके घर परिवार और देश को कौन तोड़ सकता है | अति सुंदर भावपूर्ण संदेश देती लघु कथा के लिए बधाई आद. योगराज जी | सादर
एक बार नहीं बहुत बार और बहुत से देशों ने तोड़ने की कोशिश की पर तोड़ नहीं पाए कारण आपकी लघुकथा की ये पंच लाइन जो एक अटूट सत्य है काश ये बुनियाद आगे भी और भी मजबूत होती जाय.बहुत सुन्दर प्रेरक लघुकथा लिखी है आ० योगराज जी,दिल से बधाई |
''इस देश की बुनियाद नफ़रत पर नही प्रेम पर रखी गई है सर।"
बहुत सुन्दर लघुकथा हुयी है आ० योगी सर!हार्दिक बधाई प्रेषित है!
आदरणीय योगराज जी
आप ने वास्तव में बनियाद की मजबूती बता दी .
बहुत सुंदर लघुकथा, आदरणीय योगराज जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
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