For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनो ...प्यार बड़ी चीज़ है
सबके काम आता है ये
डूबतों का तिनका
दुखियों का सहारा है ये
रोते हुओं के आँसू पोंछ
टूटे हुए दिलों को जोड़ जाता है ये
रूठों को मना लाता है
रिश्तों को शहद बनाता है ये
'इंतज़ार' कम ही लोगों को
करना आता है ये
इसकी तहज़ीब सीख लीजिये
वर्ना सोने वालों की
नीद उड़ा ले जाता है ये
उमंगों को भड़का
ज़िंदगी का मकसद बन जाता है ये
सुनो ...एहसासों का बुलबुला है ये
कांटा लगा ......तो
हवा हो जाता है ये !! 

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 16, 2015 at 4:19pm

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 16, 2015 at 4:19pm

आदरणीय Samar kabeer जी बहुत बहुत शुक्रिया जनाब ...सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on May 16, 2015 at 9:29am

आदरणीय मोहन सेठी जी, सुन्दर प्रयास , बधाई  आपको इस रचना पर  ! सादर 

Comment by Samar kabeer on May 15, 2015 at 10:41am
जनाब मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी ,आदाब ,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 15, 2015 at 7:03am

आदरणीय shree suneel जी हार्दिक अभिनंदन एवं आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 15, 2015 at 7:01am

अदानिया kanta roy जी हार्दिक आभार ...आपने कविता के अंत में मुख्य भाव को पकड़ा अच्छा लगा ...सादर 

एहसासों का बुलबुला है ये !..कांटा लगा तो हवा हो जाता है ये !

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 15, 2015 at 6:58am

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी धन्यवाद ...जी बिलकुल सही कहा अब कलम को पत्थर पे रगड़ कर थोड़ा तेज करना  पड़ेगा ...होगा के नहीं ....पता नहीं ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 15, 2015 at 6:55am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 15, 2015 at 6:55am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी आप की उपस्थिति और पसन्दगी के लिये हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by shree suneel on May 14, 2015 at 9:52pm
आदरणीय मोहन सेठी जी, प्यार की विशेषता बताते अच्छी कविता हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
10 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service