For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“सुन री छोटी ! सीख कुछ मुझसे. जब देखो मुंह उघारे घूमती रहे है, घूँघट काढ़ा कर |” “ना जीजी हम नही बन सके तुम्हारे जैसे पर्देदार ! देखी हैं हम तुम्हारी नजर.. घूँघट के पीछे से घूरे है छुटके देवर जी का शरीर जब देखो तब |” “का फायदा ऐसे घूँघट का..?” देवरानी ने पलट जवाब दे मारा जेठानी पर |

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sudhir Dwivedi on May 15, 2015 at 11:21am

आदरणीया सविता मिश्रा जी .. हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Sudhir Dwivedi on May 15, 2015 at 11:21am

आ. रवि प्रभाकर सर जी आपकी सराहना मन मग्न कर जाती है साथ साथ अधिक परिश्रम की प्रेरणा भी देती है |सादर 

Comment by Sudhir Dwivedi on May 15, 2015 at 11:07am

आ. डॉ आशुतोष मिश्रा जी आपकी स्नेहिल टिप्पड़ी के लिए आभार | गौरवान्वित अनुभव करता हूँ आप लोगो का सानिध्य पा | सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on May 15, 2015 at 10:16am

आदरणीय सुधीर जी, 

पर्दे के पीछे के भाव और बाहर के व्यवहार के अन्तर को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 15, 2015 at 2:50am

आदरणीय सुधीर जी इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 15, 2015 at 12:03am

बहुत खूब, आदरणीय सुधीर जी. बहुत बढ़िया कटाक्ष करती लघुकथा. बधाई स्वीकारें

Comment by savitamishra on May 14, 2015 at 10:40pm

बढ़िया कथा ...शायद घुंघट के पीछे का सत्य अनदेखा ही रहता हैं जो आपने देख ही लिया

Comment by Ravi Prabhakar on May 14, 2015 at 10:19pm

संक्षिप्‍त और सम्‍पूर्ण लघुकथा । लघुकथा के शिल्‍प पर आपकी पकड़ बहुत मजबूत है। शुभकामनाएं । आदरणीय डा आशुतोष भाई जी, सुधीर भाई अतिसघन लघुकथाएं लिखने के विशेषज्ञ है, आपसे निवेदन है कि उनकी अन्‍य कथाओं का भी अवलोकन करें, आनंदित महसूस करेंगे। सादर ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 9:50pm

भाई सुधीर जी इस प्रयास के लिए तहे दिल बधाई सादर ,,आज पहली बार आपकी रचना के माध्यम से आपसे मिलने का मौका मिला 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service