तरही गजल...
बह्र....122 122 122 122
तरानाा फॅसाना नया चाहता हूँ
तुम्हीं से मुहब्बत-वफा चाहता हूँ।
चमन, फूल-कॉटों सभी से निभाया,
रहा दोष फिर भी क्षमा चाहता हूँ।
हॅसीं खाब-जन्नत-बहारें तुम्हीं से,
तरो ताजगी की हवा चाहता हूँ।
कदम चूम कर नित्य सजदा करूं मैं,
मेरी जिन्दगी की दवा चाहता हूँ।
खयालों में अक्सर बहुत चोट खाये,
मिलो रूबरू फलसफा चाहता हूँ।
हुआ वक्त घायल ये इन्सा-जमीं भी,
छलकते अमी का घड़ा चाहता हूँ।
बला है, अड़ा है, खड़ा या पड़ा है,
उसे मोम में ढालना चाहता हूँ।
लुटी चॉदनी-निशि-किरन आज गुमसुम,
''चराग ए शहर हूँ बुझा चाहता हूँ।''
खिले सभ्यता-प्रेम-'सत्यम' यहॉ पर,
दिशा-रोशनी की दुआ चाहता हूँ।
के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ० वीनस भाई जी, सादर प्रणाम, आपकी सोच से मैं पूर्णतया सहमत हूं. आपका हारदिक आभार. सादर
अच्छी ग़ज़ल हुई है
दाद क़ुबूल करें
तरो ताजगी की हवा ......... इस जुमले पर फिर से गौर करें
नित्य की जगह रोज़ शब्द का इस्तेमाल मुफ़ीद होगा ...
मनोज भाई जी, आपका बहुत-बहुत आभार.
आ0 गोपाल भाई जी, सादर प्रणाम! आपने स्वम उत्तर चुन लिया है. आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया, आभार. सादर
आ0 नरेंद्र भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर
आ0 जान भाई जी, आदाब! आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर
आ0 वामनकर भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर
आ0 समर भाई जी, आदाब! आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online