For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल...
बह्र....122 122 122 122

तरानाा फॅसाना नया चाहता हूँ
तुम्हीं से मुहब्बत-वफा चाहता हूँ।


चमन, फूल-कॉटों सभी से निभाया,
रहा दोष फिर भी क्षमा चाहता हूँ।


हॅसीं खाब-जन्नत-बहारें तुम्हीं से,
तरो ताजगी की हवा चाहता हूँ।


कदम चूम कर नित्य सजदा करूं मैं,
मेरी जिन्दगी की दवा चाहता हूँ।


खयालों में अक्सर बहुत चोट खाये,
मिलो रूबरू फलसफा चाहता हूँ।


हुआ वक्त घायल ये इन्सा-जमीं भी,
छलकते अमी का घड़ा चाहता हूँ।


बला है, अड़ा है, खड़ा या पड़ा है,
उसे मोम में ढालना चाहता हूँ।


लुटी चॉदनी-निशि-किरन आज गुमसुम,
''चराग ए शहर हूँ बुझा चाहता हूँ।''


खिले सभ्यता-प्रेम-'सत्यम' यहॉ पर,
दिशा-रोशनी की दुआ चाहता हूँ।


के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 16, 2016 at 9:40am

आ० वीनस भाई जी, सादर प्रणाम,  आपकी सोच से मैं पूर्णतया सहमत हूं. आपका हारदिक आभार. सादर

Comment by वीनस केसरी on May 31, 2015 at 12:04pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है
दाद  क़ुबूल करें

तरो ताजगी की हवा
......... इस जुमले पर फिर से गौर करें

नित्य की जगह रोज़ शब्द का इस्तेमाल मुफ़ीद होगा ...

Comment by shree suneel on May 29, 2015 at 10:53am
बला है, अड़ा है, खड़ा या पड़ा है,
उसे मोम में ढालना चाहता हूँ।... .. ख़ूब.. बहुत ख़ूब..
आदरणीय केवल प्रसाद जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने.

चमन, फूल-कॉटों सभी से निभाया,
रहा दोष फिर भी क्षमा चाहता हूँ।.. बधाई.. बधाई
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 29, 2015 at 10:39am

मनोज भाई जी,   आपका बहुत-बहुत आभार.

Comment by मनोज अहसास on May 28, 2015 at 8:31pm
मैं भी आपको बधाई देता हु सर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2015 at 7:33pm

आ0 गोपाल भाई जी, सादर प्रणाम!  आपने स्वम उत्तर चुन लिया है. आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया, आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2015 at 7:32pm

आ0 नरेंद्र भाई जी, प्रणाम!  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2015 at 7:31pm

आ0  जान भाई जी, आदाब!  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2015 at 7:30pm

आ0 वामनकर भाई जी, प्रणाम!  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 28, 2015 at 7:30pm

आ0 समर भाई जी, आदाब!  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया.  सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service