हिंदी-साहित्य
साहित्य,
दर्पण सा मजबूर
इसका अपना कोई अक्स नहीं होता
रूप-रंग, वेष-भूषा, आकार-प्रकार
सब शून्यवत
अदृश्य आत्मा सा भाषा हीन
भावनाओं की आकृतियां अनुभव से सराबोर
आंसुओं में दर्द के बीज
संगठित मोतियों का वजूद
दफ्न हो जाते होंठो के कोर पर
संवेदनहीनता के मरूस्थल गढ़ते नई भाषा
साहित्य की आत्मा
पत्रकारिता की देह में ऐंठती मूॅछ
उगलती भाषाओं की जातियां, भ्रम....क्लीष्टतम रस
क्षेत्रीयता के कलश हवाओं में लटके
मुंह बन्द, गले में रस्सी....कहतीं
गोविन्दा आला रे...
पत्रकारिता,
भाषाओं के बन्धनों से मुक्त
आधुनिक परिधानों से सुसज्जित
आचार-विचारों व आर्द-भावों से सिक्त
अन्यान्य श्रृंगारों में उकेरती
मुख्य आवरण का चोखापन
अशिष्टता,
दर्पण को स्वयं परोसती.... शिष्टाचार
जन-मन आनन्द के भावातिरेक में जेंवते
कषाय व्यंजन......निपोरते बतीसी
जिभ्या कट जाती
ईर्ष्र्या, द्वेष और अनाचार से
मूक दर्पण.....संकेतों में उघारते.......काली छाया
आत्मा की पुनरावृत्ति सींचती
साहित्य की अमिट आवृत्तियां
अक्षर-अक्षर प्रस्फुटित होकर प्रस्तुत करते
नववधू रूप!
दुर्भावनावश....
आज भी सशकित है.......!
साहित्य का भविष्य?
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 सौरभ सर जी, आपकी सहज एवम आत्मिक उपस्थिति, कविता को गरिमा प्रदान कर रही है. आपके कथन से किंचित मात्र भी संदेह उत्पन्न नहीं होता है'. आपकी उदारता हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर
आ0 आशुतोष भाई जी, कविता के अनुमोदन एवम उसकी स्वीकारोक्ति हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर
आ0 श्याम नारायण भाईजी, कविता के अनुमोदन हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर
आ0 गोपाल भाई जी, कविता के अनुमोदन एवम उत्साह्वर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर
आ0 वामनकर जी, कविता पर आपका अनुमोदन मुझे एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है . आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर
आ0 शिखा जी, कविता पर आपका अनुमोदन मुझे एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है . आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर
जिस सहित्य की दशा पर आप सशंकित हैं, उसकी दशा इस कविता के परिप्रेक्ष्य में कहीं उज्ज्वल दिखती है. यह सच ही नहीं सोरहो आने सच है.
बधाई भाई केवल प्रसाद जी.
आदरणीय भाई केवल जी ..साहित्य के बारे में बड़ी सूक्ष्मता से चिंतन करने के बाद आपने जिस बिचार को इतने सरल रूप में पढने का सुअवसर प्रदान कराया उसके लिए आपको हार्दिक बधाई
वाह केवल जी
आज कल आप क्षिप्र धारा की तरह बह रहे है , बधाई हो , सादर.
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ |
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